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सीफार ने स्वास्थ्य संचार सुदृढ़ीकरण पर आयोजित की कार्यशाला, मीडिया की भूमिका पर हुई बात

वाराणसी। HBCNews.in

अपर निदेशक ने कहा- कोरोना काल में मीडिया की भूमिका रही सराहनीय
कोविड नियंत्रण व टीकाकरण पर मीडिया को दी गई विस्तार से जानकारी

कोविड-19 से सुरक्षित रहने के बारे में समुदाय को जागरूक करने में मीडिया की अहम् भूमिका रही। बीमारी से बचाव व नियंत्रण दोनों में सहयोग मिला। उनके सकारात्मक भूमिका निभाने का ही नतीजा रहा कि आज हम कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई को जीतने की ओर अग्रसर हैं। इसके लिए मीडिया की जितनी तारीफ़ की जाए वह कम है।

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यह बातें डॉ शशिकांत उपाध्याय, अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, वाराणसी मण्डल ने सोमवार को चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) की सहयोगी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित स्वास्थ्य संचार सुदृढ़ीकरण कार्यशाला के दौरान कहीं। डॉ. उपाध्याय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने में संचार की अहम् भूमिका रहती है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग योजनाओं का लाभ उठा सकें। उन्होंने वर्तमान में चल रहे कोरोना महामारी के अलावा आयुष्मान योजना, क्षय उन्मूलन, संचारी रोग नियंत्रण सहित स्वास्थ्य विभाग में चल रही विभिन्न योजनाओं व परियोजनाओं के बारे में जन समुदाय को जागरूक करने के लिए मीडिया की भूमिका को सराहा।

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इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीबी सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के वैज्ञानिकों तथा मेडिकल एक्सपर्ट ने रात-दिन अथक प्रयास कर कोरोना का ऐसा टीका विकसित किया है जो भारतीय परिवेश के अनुकूल तथा पूरी तरह सुरक्षित एवं प्रभावी है। कोरोना का टीकाकरण जनपद प्रशासन के नेतृत्व में सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। उन्होने मीडियाकर्मियों से अपील किया कि यदि समाज में कहीं भी कोरोना टीका के प्रति हिचक है तो उसे दूर करने के लिए आगे आए। कोविड-19 टीकाकरण की तैयारियों एवं टीकाकरण कार्यक्रम के क्रियान्वयन की स्थिति के बारे में भी विस्तृत रूप से बताया।

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उन्होने कहा कि जिले में पहले चरण में 11,327 स्वास्थ्यकर्मियों तथा दूसरे चरण में 716 फ्रंट लाइन वर्कर्स का टीकाकरण अभी तक हो चुका है। पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों का टीकाकरण किया गया है जो आगे भी चलेगा, दूसरे चरण में कोरोना काल में फ्रंट लाइन पर कार्य करने वाले पुलिस कर्मियों, होमगार्ड व राजस्व कर्मियों आदि का टीकाकरण चल रहा है तथा तीसरे चरण में 50 वर्ष से अधिक के उम्र के व्यक्तियों और 50 साल से कम उम्र के उन व्यक्तियों को जो गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं, का टीकाकरण किया जायेगा। उन्होने कहा कि टीकाकरण के पहले टीके के लगभग 42 दिन बाद कोरोना से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बनती है। इसलिए बार-बार कहा जा रहा है कि ‘दवाई भी-कड़ाई भी’ यानि अभी मास्क लगाना और एक दूसरे से दो गज की दूरी का पालन करना सभी के लिए जरूरी होगा।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कार्यशाला में उपस्थित पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कोविड का टीका पूरे मानकों का पालन करते हुए तैयार किया गया है और परीक्षण में खरा उतरने के बाद ही इसे लोगों को लगाया जा रहा है। इसलिए इसको लेकर किसी को कोई भ्रम नहीं होना चाहिए, क्योंकि इस टीके को सबसे पहले हम चिकित्साकर्मियों को ही लगाया जा रहा है। इस मौके पर टीका लगवाने के अपने अनुभवों को साझा किया।

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सवाल-जवाब के क्रम में पत्रकारों ने इस कार्यशाला के आयोजन की सराहना की और कहा कि टीकाकरण को लेकर मीडिया के तमाम सवालों का आज जवाब मिल गया जो कि समय की मांग भी थी। स्वास्थ्य विभाग और मीडिया के आमने-सामने की वार्ता से मीडिया को भी रिपोर्टिंग में बड़ी सहूलियत मिलेगी। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जनपद प्रशासन के नेतृत्व में किस तरह से स्वास्थ्य विभाग कोरोना मरीजों के सैंपलिंग, पॉज़िटिव मरीजों के भर्ती एवं होम आइसोलेशन, उनके कोंट्रेक्ट ट्रेसिंग, घर-घर संपर्क कर सर्विलान्स, इत्यादि कार्यों में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह तत्पर रहा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ ही साथ कोरोना महामारी में मीडिया के साथ सामंजस्य और मीडिया कवरेज में सीफार के भूमिका की अत्यंत सराहना किया।

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इस अवसर पर आईएमएस/सर सुंदर लाल चिकित्सालय बीएचयू के नोडल अधिकारी डॉ केके गुप्ता ने कहा कि सर सुंदरलाल चिकित्सालय बीएचयू जो गंभीर कोरोना मरीजों के लिए कोविड लेवल थ्री का चिकित्सालय है, में कोरोना महामारी के प्रारम्भ से ही गंभीर चुनौतियाँ थीं, क्योंकि यहाँ पर गंभीर बीमारियों से ग्रसित अथवा सर्जरी के कोविड पॉज़िटिव गंभीर मरीज इलाज के भर्ती होते थे, जिनमें वाराणसी सहित विभिन्न जनपदों एवं राज्यों के मरीज थे। ऐसे में तमाम कोशिशों के बावजूद कुछ गंभीर कोरोना मरीजों को बचाया नहीं जा सका। जनपद प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग तथा बीएचयू प्रशासन ने तत्परता से बीएचयू में नव स्थापित कोविड अस्पताल को संसाधनों से मजबूत किया और निरंतर निगरानी करते हुये पायी गयी कमियों को समय-समय पर दूर किया।

डॉ गुप्ता ने कोरोना टीकाकरण को लेकर लोगों की सोच के बारे में बताया कि किसी भी नए वैक्सीन अथवा इलाज के प्रारम्भ में लोगों में हिचक रहती है और यह सोच रहती है कि पहले कुछ लोगों के बाद ही वह उसके लिए आगे आएंगे। उन्होंने कहा टीके को लेकर किसी को कोई भय या भ्रान्ति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि कई मानकों को पूरा करने के बाद ही किसी वैक्सीन को उतारा जाता है और अब तो समूचे भारत में बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों ने यह टीका लगवाया है जो सामुदायिक स्तर पर किसी टीकाकरण के प्रारम्भिक चरण में अब तक का सबसे बड़ा टीकाकरण है।

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कार्यशाला में एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ प्रसन्न कुमार, पं० दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ वी शुक्ला ने कोरोना काल के अपने अनुभव साझा किए और मीडिया से कोरोना टीकाकरण के इस महा अभियान में सहयोग करने का आग्रह किया। इस अवसर पर सीफार संस्था की नेशनल प्रोजेक्ट लीड रंजना द्विवेदी ने कोविड के दौरान मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गयीं सकारात्मक ख़बरों की भरपूर सराहना की और कहा कि जब कोई मुश्किल वक्त होता है तो मीडिया द्वारा जागरूकता को लेकर सुझाये गए उपायों का असर समुदाय पर पूरी तरह से देखने को मिलता है।

इस मौके पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ आरके सिंह ने जनपद में क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्तमान में जनपदीय क्रियान्वयन की स्थिति एवं चुनौतियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि जनपद में 16 टीबी यूनिट तथा 62 माइक्रोस्कोपी केंद्र स्थापित हैं। जनपद में तीन सीबीनॉट मशीनों का क्रियान्वयन होने लगा है। इसके अलावा सिंगल मॉड्यूल की दो ट्रूनेट मशीन रामनगर एवं कबीरचौरा मंडलीय चिकित्सालयों में स्थापित की गयी हैं। डबल माड्यूल की तीन ट्रूनेट मशीन चोलापुर, चिरईगांव एवं बड़ागाँव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर स्थापित कर दी गयी हैं। सन 2018 में 8162, 2019 में 13241 तथा 2020 में 9638 नोटिफिकेशन किये गये हैं। कार्यक्रम की समीक्षा निक्षय पोर्टल के माध्यम से की जा रही है।

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इस अवसर पर एसीएमओ डॉ एके मौर्य ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से टीबी के उन्मूलन, कार्यान्वयन और चुनौतियों को लेकर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान उन्होने कहा कि टीबी किसी भी उम्र में हो सकती है। हमें किसी भी स्तर से जोखिम नहीं लेना है। हमें युद्ध स्तर पर लड़ाई लड़नी होगी। मीडिया के सहयोग से ही प्रधानमंत्री जी के टीबी उन्मूलन विज़न का क्रियान्वयन संभव है। कार्यशाला में एसीएमओ डॉ एसएस कनौजिया ने कोरोना काल के दौरान प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग के प्रयास, सैंपलिंग टीम के प्रबंधन आदि के बारे में विस्तार से चर्चा किया।

जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी राजेश कुमार शर्मा ने कोविड महामारी के दौरान जनपद के मीडिया द्वारा दिये गए सहयोग के बारे में विस्तार से बताया। उन्होने कोविड से साथ ही साथ क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत समुदाय से वांछित व्यवहार परिवर्तन के बारे में बताया। उन्होने कहा कि कोविड की लड़ाई में स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग, राजस्व विभाग, विभिन्न सरकारी विभाग, गैर सरकारी संगठनों के साथ ही साथ मीडियाकर्मियों ने भी फ्रंट लाइन में खड़े होकर रात-दिन अथक प्रयास किया। इनमें से भारी संख्या में लोग कोविड पॉज़िटिव भी हुये और बाद में ठीक होकर आज अपने ड्यूटी निभा रहे हैं। परंतु इनमें से कई ने अपनी ड्यूटी निभाते हुये अपने प्राण न्योछावर कर दिये। उन्होने उन सभी के प्रति दुःख एवं संवेदना भी जताया।

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कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों का स्वागत सीएमओ डॉ वीबी सिंह ने किया, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी राजेश कुमार शर्मा ने कार्यशाला का संचालन किया तथा धन्यवाद ज्ञापन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ वी शुक्ला ने किया। इस अवसर पर राजकीय जिला महिला चिकित्सालय की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ लिली श्रीवास्तव, लाल बहादुर शास्त्री चिकित्सालय के सीएमएस डॉ एके उपाध्याय, एसीएमओ डॉ पीपी गुप्ता, डॉ एके गुप्ता, डॉ एनपी सिंह, डॉ संजय राय, जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ राहुल सिंह, डिप्टी सीएमओ डॉ सुरेश सिंह, डॉ पीयूष राय, डिप्टी डीएचईआईओ कल्पना सिंह, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक संतोष सिंह, सहायक मलेरिया अधिकारी केके राय, समस्त ब्लॉकों के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, यूनिसेफ से डीएमसी एवं विभिन्न विभागों तथा गैर सरकारी संगठनों के सदस्य मौजूद रहे।

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