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यूपी की सरकारें 1990 से खेल रहीं भ्रष्टाचार का खुला खेल: संजय चौबे

वाराणसी। HBCNews.in

महानगर कांग्रेस कमेटी के मैदागिन स्थित कार्यालय में उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि आजादी के बाद से 1990 तक उत्तर प्रदेश में 148 चीनी मिले थी। सभी मिले विकास के पथ पर दौड़ रही थी और गन्ना किसानो कि स्थिति काफी अच्छी थी। उत्तर प्रदेश में गन्ना उद्योग के रूप स्थापित हो चुका था, लेकिन 1990 में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद चीनी मिलो की स्थिति काफी खराब होने लगी और कई मिले बंदी के दौर से गुजरने लगी। किसानो का बकाया ज्यादा रहने लगा जिसके कारण किसान तंगी के दौर से गुजरने लगा जिसका सीधा असर पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानो पर पड़ा और पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानो ने गन्ने की खेती करना कम कर दिया जिससे पूर्वांचल में गन्ना उद्योग खत्म होने लगा।

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सपा, बसपा और भाजपा ने बारी-बारी से किया बर्बाद:

प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे ने बताया कि सन 1990 से लेकर 2021 तक प्रदेश में सपा, बसपा और भाजपा ने मिलकर बारी-बारी से शासन किया लेकिन किसी सरकार ने गन्ना किसानो के और चीनी मिलों के उपर कोई ध्यान नही दिया सबका ध्यान केवल उत्तर प्रदेश को बर्बाद करने और अपनी जेब भरने में लगा रहा। उत्तर प्रदेश में जब 2007 में बसपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी तब मायावती ने 2010-2011 के दौरान प्रदेश की 21 चीनी मिलों को अपने चहेतों को औने-पौने दाम में बेचने का काम किया, जिसमे से 10 चीनी मिले चालू हालात में थी। इन मिलों की कैग रिपोर्ट में साबित हुआ कि मायावती सरकार के दौरान बेची गयी चीनी मिले 10 से 12 गुना कम कीमत पर बेची गयी और सरकारी राजस्व को काफी क्षति पहुचाई गयी है।

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पूर्व की सरकारों पर आज तक नहीं हुई कोई कार्यवाही:

प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे ने बताया कि 2012 में जब प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार आयी तो उन्होने पूर्व की सरकार पर कार्यवाही करने के बजाय एक और लोकायुक्त की जांच बैठा दी, जिसका आज तक कोई रिजल्ट नही आया। अखिलेश यादव ने गन्ना किसानो और चीनी उद्योग को झटका देते हुए 10 चीनी मिलो को बंद कर दिया। 2017 में अखिलेश सरकार बदलने के बाद योगी सरकार ने कैग रिपोर्ट पर कार्यवाही करने के बजाय बिकी हुई चीनी मिलो की जांच सीबीआई को दे दी। सीबीआई जांच का आज तक कोई परिणाम नही आया। चीनी मिलो की बिक्री की कैग रिपोर्ट में मायावती की गलती उजागर हुई इसके बावजूद अखिलेश यादव ने उन्हे बचाया तथा अखिलेश यादव ने 10 और मिलो को बंद कर दिया।

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1990 से भ्रष्टाचार का चल रहा खुला खेल:

श्री चौबे ने सवाल उठाते हुए कहा कि इसके पश्चात योगी सरकार ने न तो इसकी जांच कराया कि फायदे में रहने वाली मिले घाटे में क्यो आयी? इन मीलों को क्यो बेचा गया? योगी सरकार ने मायावती सरकार पर कैग रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्यवाही नही किया, जिसके कारण चीनी मिलो में भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया। योगी सरकार ने गन्ना किसानो का चार साल से एसएपी में कोई वृद्धि नही किया। आखिर क्या कारण है की चीनी मिलो से निकलने वाले सिरे का रेट काफी कम रहता है लेकिन उस सिरे से जब रम बनता है या सिरे से प्राप्त अल्कोहल से दवा बनती है तो रम या दवा बनाने वाली कंपनिया काफी फायदे में रहती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार चीनी कंपनिया हमेशा घाटे में रहती हैं अतः स्पष्ट है कि 1990 से भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है, जिसकी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में एसआईटी जांच करायी जाय जिससे सपा, बसपा और भाजपा के मिली भगत और भ्रष्टाचार का खुलासा हो सके चीनी मिले बेचने और बंद करने वालो को दंड मिल सके।

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देवरिया के बैतालपुर में 28 फरवरी को एक बड़ी रैली:

प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे ने कहा कि आज कि तारीख में पश्चिम उत्तर प्रदेश में केवल 70 फीसदी मिले ही चालू है और मध्य उत्तर प्रदेश में केवल 40 प्रतिशत मिले ही चालू हैं और पूर्व कि स्थिति इससे भी खराब है। इस स्थिति में भी गन्ना किसानों का सरकार के उपर 12,000 करोड़ रुपया से ज्यादा बकाया है। प्रदेश सरकार जल्द से जल्द गन्ना किसानो का बकाया दे, बंद पड़ी मिलों को चालू करे और गन्ने का मूल्य स्वामीनाथन कमेटी के C2+50% के आधार पर अदा करे और तीनो काले कृषी कानूनों को रद्द कराने कि मांग को लेकर उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस देवरिया के बैतालपुर में 28 फरवरी को एक बड़ी रैली करने जा रहा है। जिसमे किसानो की बड़ी हिस्सेदारी होंगी जिससे प्रदेश और केन्द्र सरकार को किसानो की मनोभावना से अवगत कराया जा सके। पत्रकार वार्ता में प्रमुख रूप से संजय चौबे, देवेंद्र चौधरी, राज जायसवाल इत्यादि उपस्थित थे।

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