लखनऊ। HBCNews.in
एक महिला ने हाई कोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति पुष्पा वी गनेडीवाला को 150 कंडोम भेजने की बात कही है। महिला ने कहा कि पोक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के मामलों में जज के विवादास्पद फैसले के खिलाफ विरोध में हमने इतने सारे कंडोम भेजने का फैसला लिया है।
यह भी पढ़ें: पूरी दुनिया मांग रही भारत का कोविड टीका, जानिए क्यों?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अहमदाबाद की महिला देवश्री त्रिवेदी ने कहा कि उन्होंने 12 अलग-अलग स्थानों पर कंडोम भेजे थे, जिनमें जस्टिस गनेडीवाला का चैंबर, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की रजिस्ट्री ऑफिस भी शामिल है। न्यायमूर्ति गनेडीवाला के फैसले के कारण एक नाबालिग लड़की को न्याय नहीं मिला। इसलिए इस फैसले से निराश होकर मैं मांग कर रही हूं कि उसे (न्यायमूर्ति गनेडीवाला) को तुरंत निलंबित किया जाए।
यह भी पढ़ें: देश में पहली बार महिला को फांसी, प्यार में पागल शबनम ने की थी परिवार के 7 लोगों की हत्या
बच्ची के स्तनों को कपड़ों के ऊपर से दबाना भी यौन उत्पीड़न है:
महिला ने न्यायमूर्ति गनेडीवाला के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने यौन शोषण के एक व्यक्ति को सिर्फ इस आधार पर बरी कर दिया कि बच्ची के स्तनों को उसके कपड़ों के ऊपर से दबाने पर यौन उत्पीड़न नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि ‘त्वचा से त्वचा तक’ शारीरिक संपर्क के बिना यौन हमला का मामला नहीं बनता है। महिला ने कहा कि मैं मानती हूं कि किसी बच्ची के कपड़ों के ऊपर से भी स्तन दबाना उत्पीड़न ही है।
यह भी पढ़ें: पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के साथ सेक्स मेरी जिंदगी के सबसे खराब 90 सेकेंड
देवश्री त्रिवेदी ने 9 फरवरी को भेजे थे कंडोम के पैकेट:
राजनीति विश्लेषक होने का दावा करने वाली देवश्री त्रिवेदी ने कहा कि उसने 9 फरवरी को कंडोम के पैकेट भेजे थे और उनमें से कुछ के डिलीवरी रिपोर्ट मिली थी। आगे उन्होंने कहा कि एक महिला के रूप में, मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ भी गलत किया है। मैंने ऐसा करके कोई अपराध नहीं किया है। महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना पड़ता है। न्यायमूर्ति गनेडीवाला के इस आदेश से लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले बढ़ सकते हैं। ऐसे में हमें अपने लिए बोलना ही होगा।
जज पुष्पा वी गनेडीवाला का एक और फैसला चर्चा में:
अपने एक अन्य फैसले में जज गनेडीवाला ने कहा था कि नाबालिग का हाथ पकड़ना या किसी व्यक्ति द्वारा किसी लड़की या महिला के सामने गलत भावना से पैंट की जिप खोलने जैसे कार्य POCSO अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के अंतर्गत नहीं आते हैं।