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बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए सामाजिक सहभागिता जरूरी

वाराणसी। बच्चों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए सामाजिक सहभागिता बेहद जरूरी है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को इसके लिए संवेदनशील होना पड़ेगा। गांधी अध्यनपीठ के सभागार में चाइल्ड लाइन की ओर से बुधवार को आयोजित कार्यशाला में वक्ताओं ने उक्त विचार व्यक्त किए।

कार्यशाला में बाल संरक्षण से जुड़े विभिन्न सरकारी विभाग के साथ सामाजिक संगठन तथा न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी भी शामिल हुए। जिला बाल संरक्षण अधिकारी निरूपमा सिंह ने कहा कि सरकार बाल अधिकारों के संरक्षण के प्रति बेहद गंभीर है और इसके लिए तमाम कार्यक्रम चलाये जा रहे है। नतीजा है कि आज बाल अधिकारों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। यही कारण है बाल मजदूरी, बाल उत्पीड़न की घटनाएं अब काफी कम हो गयी है। उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए तमाम कानून बने है और इसका अनुपालन भी कराया जा रहा है पर इसके लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को भी संवेदनशील होना पड़ेगा। बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष स्नेहा उपाध्याय ने कहा कि बाल कल्याण के मुद्दे पर समिति बेहद गंभीर है। उन्होंने कहा कि हमारा पूरा प्रयास होगा कि बाल अधिकारों लिए काम कर रहे सभी लोग आपसी तालमेल के साथ इस दिशा में प्रयास करें।

चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक शिशिर श्रीवास्तव ने कहा कि बाल कल्याण व् संरक्षण से जुड़े सभी सरकारी विभागों, सामाजिक संगठनों और न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोगों को इसके लिए एक जुट होकर काम करना चाहिए। कार्यशाला में चाइल्ड लाइन के नोडल निदेशक बीडी पाण्डेय, मजू महतो, अभयानंद पाण्डेय, अखिलेश कुमार, रंजना विद्यार्थी, शील किशोर ने भी विचार व्यक्त किया।

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