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अब कमजोर इंग्लिश वाले स्टूडेंट भी बनेंगे इंजीनियर

गोरखपुर। अगर आप इंग्लिश में कमजोर स्टूडेंट हैं और इंजीनियर बनना चाहते हैं तो निराश होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि अब सिर्फ हिंदी भाषा बोलने वाले स्टूडेंट भी इंजीनियर बन सकेंगे। आपको अपनी क्षेत्रीय भाषा हिंदी के जरिए भी इंजीनियरिंग करने का मौका मिलेगा। इसके लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने कॉलेजों को नए शैक्षणिक सत्र 2021-22 से हिंदी समेत मराठी, गुजराती, बंगाली, समेत आठ भाषाओं में पढ़ाने की इजाजत दे दी है। वहीं, इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग में भी इस सुविधा का लाभ उठाने का प्रयास शुरू हो गया है।

कॉलेजों को मानक पूरा कर करना होगा आवेदन

एआईसीटीई ने कॉलेजों को हिंदी समेत आठ भाषाओं में इंजीनियरिंग की डिग्री देने की इजाजत दे दी है। गोरखपुर मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज में एआईसीटीई की स्वीकृति प्रक्रिया हैंड बुक में इसके बारे में विस्तार से दिया है। ये हैंड बुक हर साल एआईसीटीई जारी करती है। इस बार के हैंड बुक में भी साफ स्पष्ट है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए 8 भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की ट्रेनिंग दी जा सकेगी। इसके लिए कॉलेजों को मानक पूरा करते हुए इसके लिए आवेदन करना होगा।

ग्रामीण इलाके के स्टूडेंट्स को मिलेगा फायदा

दरअसल, गोरखपुर व आसपास के ग्रामीण इलाके में रहने वाले ज्यादातर स्टूडेंट हिंदी मीडियम से ही पढ़ाई करते हैं। आगे चलकर वे इंग्लिश में कमजोर होने की वजह से इंजीनियरिंग चाह कर भी नहीं कर पाते हैं। ऐसे में एआईसीटीई ने खास तौर से ऐसे ही आदिवासी इलाके और ग्रामीण इलाके को ध्यान में रखकर इसकी शुरूआत की है। ताकि ग्रामीण इलाके के स्टूडेंट भी अपने सपने को पूरा कर सकें।

मातृभाषा पर पकड़ के लिए शुरू हुई कवायद

नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक भारतीय भाषाओं में पढ़ाई को प्राथमिकता दी गई है। हिंदी समेत आठ क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की डिग्री देने को इजाजत दे दी गई है। इसका लक्ष्य स्टूडेंट को उनकी मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा प्रदान करना है। इसके बाद से ही कई कॉलेजों की तरफ से आवेदन भी किए जा रहे हैं। वहीं, इंजीनियरिंग कॉलेज में इसकी तैयारी चल रही है। मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने बताया कि हैंडबुक में इसकी पूरी डिटेल दी गई है। अब हिंदी समेत 8 क्षेत्रीय भाषाओं से स्टूडेंट अब इंजीनियरिंग कर सकेंगे। अंग्रेजी में कमजोर छात्रों को इंजीनियरिंग के लिए बढ़ावा देने के लक्ष्य से यह अच्छी पहल है। इस दिशा में हम लोग भी आगे चलकर काम करेंगे। जिसका यहां के स्टूडेंट्स को लाभ मिलेगा।

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