नई दिल्ली। HBCNews.in
देश की सर्वोच्च अदालत ने गुरूवार को केन्द्र की भाजपा सरकार को उन टीवी कार्यक्रमों पर लगाम लगाने के लिए ‘कुछ नहीं करने’ पर फटकार लगाई, जिनके ‘असर भड़काने’ वाले होते हैं और कहा कि ऐसी खबरों पर नियंत्रण उसी प्रकार से जरूरी हैं जैसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिये ऐहतियाती उपाए।
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने गणतंत्र दिवस पर किसानों की ‘ट्रैक्टर पेरड’ के हिंसक होने के बाद कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवा को बंद किए जाने का जिक्र किया और ‘निष्पक्ष और सत्यपरक’ रिपोर्टिंग की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि समस्या तब आती है जब इसका इस्तेमाल दूसरों के खिलाफ किया जाता है।
सरकार होने के नाते आप कुछ नहीं कर रहें:
बता दें कि प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने मोदी सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि कुछ ऐसे टीवी कार्यक्रम हैं, जिनके प्रभाव भड़काने वाले हैं और आप सरकार होने के नाते इस पर कुछ नहीं कर रहे हैं। पीठ ने यह बात उन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कही जिनमें पिछले वर्ष कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के दौरान तबलीगी जमात के कार्यक्रम पर मीडिया रिपोर्टिंग का मुद्दा उठाया गया था।
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इंटरनेट और मोबाइल सेवा बंद करने पर उठाया सवाल:
न्यायमूर्ति बोबड़े ने कहा कि कल आपने किसानों के दिल्ली यात्रा पर आने के कारण इंटरनेट और मोबाइल सेवा बंद कर दी। मैं गैर विवादास्पद शब्दावली का इस्तेमाल कर रहा हूं। आपने मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया। ये ऐसी समस्याएं हैं जो कहीं भी पैदा हो सकती हैं। मुझे नहीं पता कि कल टेलीविजन में क्या हुआ।
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चिंता है भड़काने वाले कार्यक्रमों की:
पीठ ने आगे कहा कि निष्पक्ष और सत्यपरक रिपोर्टिंग आमतौर पर कोई समस्या नहीं है, समस्या तब होती है जब इसका इस्तेमाल दूसरों को परेशान करने के लिए किया जाता है। यह उतना ही जरूरी है जितना किसी पुलिसकर्मी को लाठी मुहैया कराना। यह कानून-व्यवस्था की स्थिति का अहम ऐहतियाती हिस्सा है। टीवी पर लोगों द्वारा कही जा रही बातों में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है लेकिन उसे उन कार्यक्रमों को लेकर चिंता है जिनका उसर भड़काने वाला होता है।