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हिन्दू पंचायत में बोलें स्वामी आनंद स्वरूप- भारत के 11 प्रान्तों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुका है, यह खतरे की घण्टी

चण्डीगढ़ के बाबा मक्खन शाह आडिटोरियम में शंकराचार्य परिषद व भाग्योदय फाउण्डेशन की लगी हिन्दू पंचायत

भारत का हिन्दू राष्ट्र बनना ही भारत की ढेरों समस्याओं का एकमात्र निदान: आनन्द स्वामी

जो अपनी हीनता को दूर करे वह हिन्दू है, सनातनी समाज अपने बच्चों में बहादुरी के गुण भरे: पुनीत इस्सर

चण्डीगढ़। hbcnews

पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ के बाबा मक्खन शाह सभागार में हिन्दू पंचायत आज सम्पन्न हो गयी। शंकराचार्य परिषद व भाग्योदय फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में आहूत हिन्दू पंचायत में विधायकों समेत अनेक जनप्रतिनिधियों ने भी भागीदारी की। ‘हिन्दू रिपब्लिक ऑफ हिन्दुस्थान’ के लिए हिन्दू पंचायत’ शीर्षक से आयोजित इन कार्यक्रमों के जरिए भारत की सनातन संस्कृति की जड़ों से हर भारतीय को जोड़ने का अभियान छेड़ा गया है। चण्डीगढ़ के हर हिस्से सहित अनेक जिलों से आए हिन्दू पंचों ने शंकराचार्य परिषद की इस पहल को अद्वितीय बताया तथा इस महाभियान से जुड़ने की प्रतिबद्धता जताई।

पंचायत सभा की अध्यक्षता करते हुए शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनन्द स्वरूप ने वर्तमान समय को बड़ा परिवर्तनकारी बताते हुए कहा कि बदलाव की बयार पूरे देश को प्रभावित करेगी और सत्य सनातन संस्कृति का परचम सम्पूर्ण भारतवर्ष में फहराएगा। उन्होंने भारत सहित विश्व भर में सुख-शान्ति की स्थापना के लिए हिन्दुस्थान को हिन्दू राष्ट्र बनाना न केवल जरूरी बताया, बल्कि उसे अपरिहार्य कहा। उन्होंने कहा कि यह ईश्वर इच्छा है और यह होकर ही रहेगा।

स्वामी आनन्द स्वरूप ने स्वाधीनता आन्दोलन की भाँति एकजुटता दिखाते हुए भारत को सनातन राष्ट्र बनाने के लिए एक आन्दोलन छेड़ने का आह्वान सनातन समाज से किया। उन्होंने कहा कि यह कार्य तभी हो सकता है जब हिन्दू समाज जाति-पाँति के स्वयं के बुने जाल को तोड़कर बाहर निकले और पूरा सनातनी समाज एकजुट हो जाए। उन्होंने शंकराचार्य परिषद के ‘जाति छोड़ो-हिन्दू जोड़ो’ अभियान की भी चर्चा की और बताया कि बड़े पैमाने पर हिन्दू समाज एकजुट हो रहा है तथा धर्मांतरण कर अन्य सम्प्रदायों में चले गए लोग हिन्दू धर्म में पुनः वापस आ रहे हैं।

हिन्दू पंचायत के मुख्य वक्ता मुंबई से आये वरिष्ठ अभिनेता पुनीत इस्सर ने भारत की सुन्दर सी व्याख्या की और कहा कि भा यानी प्रकाश में रत रहना, अर्थात प्रकाश की साधना करने वाले दुनिया के विशालकाय भूभाग को भारत कहा गया है। आदिकाल की सर्वाधिक पुरानी संस्कृति को सनातन धर्म की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि जो अपनी और अपने समुदाय की हीनता को दूर करे वह हिन्दू है। उन्होंने हर भारतवासी से मनुष्य बनने का आह्वान किया।

गुरु गोविन्द सिंह, बन्दा बैरागी, मतिदास और सतीदास आदि महावीरों की माताओं को नमन करते हुए पुनीत इस्सर ने प्रत्येक भारतीय परिवार से कहा कि वे बच्चों में बहादुरी के गुण भरें। श्रीमदभगवदगीता को सनातन धर्म के विशाल भवन के ऊपर लगा गुम्बद बताते हुए उन्होंने नयी पीढ़ी को गीता का अध्ययन कराने की अपील की। उन्होंने हिन्दुओं और सिक्खों को एक वृहद परिवार बताया और कहा कि वे बच्चों को भीतर से स्ट्रांग (मजबूत) बनाएं। श्री इस्सर ने शंकराचार्य परिषद को आश्वस्त किया कि वह और उनकी टीम युवाओं को बहादुर बनाने के लिए मार्शल आर्ट की विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण देने में सक्रिय सहयोग करेगी। उन्होंने सनातनी समाज को ‘सोया हुआ सिंह’ की संज्ञा देते हुए इस्सर ने वीररस की एक कविता सुनाई और कहा ‘सोए सिंह जगो भारत के, माता तुम्हें पुकार रही’।

मुम्बई से आये युवा फ़िल्म निर्माता-निर्देशक सिद्धान्त इस्सर ने इस मौके पर पालघर सन्त हत्याकाण्ड से उपजे अपने आंतरिक दर्द को शिद्दत के साथ व्यक्त किया और बताया कि उनकी फिल्म ‘संहार’ उसी हार्दिक पीड़ा की ही अभिव्यक्ति है। उन्होंने बताया कि उन्होंने गोहत्या को रोकने और हिन्दू समाज के आदरणीय लोगों का मजाक बनाने वाली फिल्मों के खिलाफ एक मुहिम चलाई है और प्रेरणादायी फिल्मों के माध्यम से उन बुराइयों पर प्रहार कर रहे हैं। उत्साह व उल्लास से भरे सिद्धान्त इस्सर की इस घोषणा पर सदन ने जोरदार करतल ध्वनि के साथ उनका अभिनंदन किया।

बतौर विशिष्ट वक्ता पंचदशनाम जूना अखाड़ा के स्वामी धनेश्वर गिरि ने कहा कि हमारा सनातन धर्म भ्रमित अवधारणाओं के कारण अपने मूल स्वरूप को भूलता जा रहा है। जातीय साम्प्रदायिकता एवं सनातन धर्म की अपूर्ण जानकारी का प्रचार-प्रसार इसका मुख्य कारण रहा है।

उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा प्रदान की गयी विधायें और सनातन संस्कृति की प्रगति के लिए लिखे गए ग्रन्थ व लिपियां या तो जला दी गयी या छुपा दी गयी है। उनके मूल विषयों को हटाकर उनमें भौतिकवादिता को जोड़ दिया गया, जिससे सत्य सनातन संस्कृति व हिन्दुत्व में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गयी। स्वामी धनेश्वर गिरि ने कहा कि सत्य सनातन धर्म प्रकृति का मूल स्वरूप है। यही हमें जीवन की मुख्य धारा से जोड़ता है। यही मानव जीवन की सम्पूर्णता का आधारभूत मन्त्र है।

भाग्योदय फाउण्डेशन नई दिल्ली के अध्यक्ष आचार्य राम महेश मिश्र ने गुरुओं की पवित्र भूमि पंजाब को नमन किया और गुरु-साहिबान के त्याग, समर्पण व बलिदानों को श्रद्धापूर्वक याद किया। उन्होंने कहा कि गुरु नानक से लेकर गुरु गोविन्द सिंह तक की गुरुओं की संघर्षमयी गाथाएं यह बताती हैं कि उन्होंने भारतीय सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए कितने कष्ट सहे। उनके साथ हिन्दू बड़ी मजबूती के साथ सदैव खड़ा रहा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस पावन धरा से उठी यह क्रान्ति सम्पूर्ण भारतवर्ष को निःसन्देह एकता के सूत्र में बांधने में सफल होगी। उन्होंने कहा कि आज पुनः जरूरत आन पड़ी है कि भारत सहित दुनिया के विभिन्न देशों से अनेकानेक सांस्कृतिक राजदूत निकलकर सम्पूर्ण विश्व को सत्य सनातन संस्कृति की कल्याणकारी विचारधारा से जोड़कर सुख एवं शान्ति से भरी ऐसी दुनिया के निर्माण के लिए सन्नद्ध हों, जिसमें मानव बिना किसी भय व आतंक के जीवनयापन कर सके तथा मानवता के विकास में अपनी भूमिका निभा सके।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए शंकराचार्य परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अमित कुमार जोशी ने चण्डीगढ़ की जनता को और अधिक जागरूक करने की जरूरत बतायी। इसके पूर्व इसके पूर्व भाग्योदय फाउण्डेशन के प्रदेश अध्यक्ष करणवीर राणा ने अतिथियों एवं आगंतुकों का स्वागत किया। कार्यक्रम में हरियाणा से आईं साध्वी राधिका सरस्वती, राजपुरा से पधारे संत वाहेगुरु कृष्णदास, शंकराचार्य परिषद के ट्रस्टी नरेन्द्र खड़का, शंकराचार्य परिषद के प्रदेश अध्यक्ष राज किशोर यादव, भाग्योदय फाउण्डेशन के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष कर्णवीर राणा, चण्डीगढ़ यूनिवर्सिटी के भाग्योदय अध्यक्ष विनोद कुमार चौहान, सतीश कुमार, रमेश कुमार, अश्विनी कुमार सहित अनेक गण्यमान व्यक्ति मौजूद रहे।

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