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काशी में पं. राजन मिश्र के नाम कोविड अस्पताल

वाराणसी। पद्मभूषण पंडित राजन मिश्र के निधन के बाद बनारस हिंदू युनिवर्सिटी में खोले गए अस्थाई कोविड अस्पताल को उनका नाम दिया गया है। मतलब ये अस्पताल अब पं. राजन मिश्र के नाम से जाना जाएगा। इस पर सियासत तेज हो गई है। पं. राजन मिश्र के प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। प्रशंसकों का कहना है कि जब तक पंडित जी जिंदा थे और मौत के साथ लड़ाई लड़ रहे थे तब तक सरकार ने उन्हें अस्पताल में वेंटिलेटर तक नहीं मुहैया कराया, अब कोविड अस्पताल को उनका नाम देकर तमाशा बनाया जा रहा है।

पं. राजन मिश्र के बेटे पंडित रजनीश मिश्र ने भी सरकार से गुहार लगाई कि संकट के इस दौर में मंदिर, मूर्तियों और नई इमारतों की जरूरत नहीं है। इसकी जगह बेहतर अस्पताल बनवाया जाए, ताकि लोगों की जान बच सके।

अंदाजा लगाइए…. आम लोगों की हालत क्या होगी?

पं. रजनीश मिश्र ने ‘दैनिक भास्कर’ से खुलकर बातचीत की। कहा, ‘पिताजी तो नहीं रहे, हम दोष किसे दें? जो नुकसान होना था वह हो गया और उसकी भरपाई भी संभव नही है। शास्त्रीय गायन में वर्ल्ड फेम पंडित जी के इलाज में ऐसा हो सकता है तो अंदाजा लगाइए आम आदमी की क्या स्थिति होगी?’

पीएम आवास की जगह अस्पताल जाए बनाया

पं. रजनीश ने कहा, पिताजी अब अस्पताल तो देखने आ नहीं रहे हैं और न रामजी अयोध्या में अपना मंदिर देखने आ रहे हैं। मौजूदा समय में देश को अच्छी सुविधाओं वाले अस्पताल की जरूरत है। इसलिए मंदिर, मूर्तियां और दिल्ली में हजारों करोड़ रुपए से तैयार हो रहे प्रधानमंत्री के नए भवन की जगह सरकारें हेल्थ सिस्टम को सुधारे। बोले- मैं सरकार से यही अनुरोध करूंगा कि वह आम आदमी और उसके स्वास्थ्य पर ध्यान दें। जब कोई अपना बिछड़ता है तो बहुत दर्द होता है। वो कष्ट को हम सबको महसूस करना चाहिए।

पं. राजन मिश्र के बेटे और भतीजे का सरकार से दो सवाल

1. एक तरफ पिताजी के सम्मान में अस्थाई कोविड हॉस्पिटल का नाम दिया गया। दूसरी तरह उन्हीं की तस्वीर के साथ प्रधानमंत्री की भी तस्वीर लगाई जा रही है। यह कैसा सम्मान है और क्या संदेश दिया जा रहा है?
2. जब पं. राजन मिश्र का अस्थि कलश वाराणसी आया तब सरकार और शासन की तरफ से कोई क्यों नहीं आया?ध

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