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युवा संतो को दी जाए चारों पीठों की कमान: स्वामी आनंद स्वरूप

प्रयागराज। HBCNews.in

प्रयागराज के माघ मेले में आयोजित हुई गोष्ठी
हिन्दू राष्ट्र बनाने में संतों की भूमिका विषयक गोष्ठी का आयोजन

प्रयागराज के माघ मेले में ‘हिन्दू राष्ट्र बनाने में सन्तो की भूमिका’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन रविवार को किया गया। संगोष्ठी में शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष एवं शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज भी मौजूद थे। गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि यह विडंबना है कि आज 85 प्रतिशत लोग केवल भोजन और दक्षिणा के लिए संत रूप धारण किये हुए हैं। फिर भी कुछ अच्छे सन्त हैं जो आगे बढ़कर भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के महा अभियान में जुटे हैं। गोष्ठी में जुटे संतो ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के महा अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान देने का संकल्प लिया।

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90 प्रतिशत साधुओं को परम्पराओं का ज्ञान नहीं:

वक्ताओं ने कहा कि प्राचीन काल में हमारे ऋषियों ने संचार माध्यमों की अनुपलब्धता के कारण इन मेलों की शुरुआत की क्योंकि कम से कम एक वर्ष में एक बार धर्म संरक्षण के लिए हिन्दू संतो का सम्मलेन और संवाद हो सके। मेले के आयोजन का यह भी उद्देश्य था कि, संतों का एकत्रीकरण हो जाएगा और धर्म की गिरावटों, उसकी समृद्धि के माध्यमों पर वह चर्चा कर पाएंगे, पर अफ़सोस की आज यह मेला अपने उद्देश्य से भटक गया है और यह सिर्फ भंडारा खाने और दक्षिणा लेने तक ही सिमट गया है। 90 प्रतिशत परंपरा के साधु नहीं हैं, उनको परम्पराओं का ज्ञान नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि इस भण्डारा वाली भीड़ को समाप्त होना होगा और एक स्थायी संत परिवार-समाज का निर्माण होना चाहिए।

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चारों पीठों पर युवा-विद्वान संतों को पुनर्प्रतिष्ठित किया जाए:

संगोष्ठी में शंकराचार्य परिषद ने निर्णय लिया है कि शंकराचार्य भगवान द्वारा प्रतिष्ठित चारों पीठों पर युवा विद्वान संतों को पुनर्प्रतिष्ठित किया जाएगा, जिससे पूरे देश में शंकराचार्य की महान परंपरा का संचालन सुचारू रूप से किया जा सके। यह भी निर्णय हुआ की ऐसे सभी पंथों का पुनर्गठन भी किया जाएगा। ताकि तभी संत अपनी खोई हुई परंपरा और प्रतिष्ठा को प्राप्त कर सके और महान और विराट हिन्दू राष्ट्र का संचालन ठीक से कर सके।

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