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सिपाही ने कैदी के बेटे का हत्या कर थाने में किया सरेंडर

लखनऊ। विभूतिखंड में राम मनोहर लोहिया अस्पताल के गेट पर बुधवार की शाम सीतापुर के रहने वाले 34 साल के प्रवीण सिंह की हत्या कर दी गई थी। हत्या किसी बदमाश ने नहीं बल्कि बदायूं निवासी सिपाही आशीष ने की थी। सिपाही की तैनाती सीतापुर में है। वह किडनी की बीमार से पीड़ित एक कैदी की सुरक्षा में था। मृतक कैदी का बेटा था। हत्या करने के बाद सिपाही ने थाने पहुंचकर सरेंडर कर दिया।

बावर्दी कत्ल करके आए सिपाही से पूछताछ से पहले थाने में उसकी वर्दी उतरवाकर दूसरे कपड़े पहनाए गए। इसके बाद अफसरों के सामने पेश करके औपचारिक पूछताछ हुई। लेकिन लखनऊ पुलिस इसे हत्या नही बल्कि मानसिक अवसाद में उठाया गया कदम मान रही है।

हत्या के पीछे ये वजह सामने आई

सीतापुर के मिश्रिख निवासी ध्रुव कुमार हत्या के केस में सीतापुर जेल में बंद था। किडनी की बीमारी के इलाज के लिए 25 मई को उसे लोहिया अस्पताल में भर्ती करवाया गया। सीतापुर पुलिस लाइन के सिपाही आशीष मिश्रा को उसकी सुरक्षा में तैनात किया गया था। पुलिस के अनुसार, ध्रुव का बेटा प्रवीण, सिपाही आशीष की कई शिकायत पुलिस विभाग से कर चुका था। वह अस्पताल में अक्सर उसे जान से मारने की धमकी देता था। बुधवार को वह तमंचा लेकर अपने पिता से मिलने अस्पताल आया था। यहां किसी बात पर सिपाही और प्रवीण के बीच हाथापाई हुई। इसके बाद प्रवीण अस्पताल से जाने लगा तो मेन गेट के पास फिर दोनों में भिड़ंत हो गई। आशीष का कहना है कि उसने प्रवीण का तमंचा छीनकर उसे गोली मार दी।

मामले को दबाने में नाकाम अफसरों ने गाल पर लगाई चपत

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, हत्यारोपी सिपाही आशीष वारदात के बाद थाने पहुंचा तो उसे भागने की बजाय खाकी पर भरोसा जताने के लिए शाबाशी दी गई। इसके बाद उसे अफसरों के सामने पेश किया गया। अधिकारियों ने बड़ी मासूमियत से उसकी गाल पर चपत लगाकर कहा कि क्या कर डाला बच्चे?

लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर बोले- पागल है

सिपाही की गोली के शिकार प्रवीण की लाश पोस्टमार्टम हाउस भी नहीं पहुंची थी कि पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने हत्यारोपी सिपाही आशीष को पागल करार दे दिया। सिपाही आशीष ने किस वजह से प्रवीण को गोली मारी कमिश्नर ने इसका खुलासा करने की बजाय कहा कि सिपाही मानसिक विक्षिप्त लग रहा है। जबकि न तो सीतापुर पुलिस की तरफ से कमिश्नर को ऐसी कोई जानकारी दी गई थी न उसका कोई मेंटल सर्टिफिकेट उनके पास था।

विक्षिप्त सिपाही से ड्यूटी क्यों ले रहा था विभाग?

लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के बयान से एक तरफ जहां उनकी मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं, सीतापुर पुलिस भी कटघरे में खड़ी हो रही। कमिश्नर ने फौरी नजर में जिस हत्यारोपी सिपाही के पागलपन को पहचान लिया, सीतापुर पुलिस उसे क्यों नहीं भाप पाई? आशीष अगर विक्षिप्त था तो उसकी भर्ती प्रक्रिया में शामिल अफसरों से लेकर अभी तक उससे ऐसी महत्वपूर्ण ड्यूटी करवाने वाले हर अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

लखनऊ में ही साढ़े तीन साल पहले भी हत्यारे सिपाही को बचाने का हुआ था प्रयास

29 सितंबर 2018 की रात करीब एक बजे। गोमतीनगर विस्तार में महिला मित्र के साथ अपनी कार से घूम रहे नामी मोबाइल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की गोमतीनगर थाने के सिपाही प्रशांत चौधरी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। वजह महज चंद रुपयों की वसूली और विवेक की महिला मित्र पर प्रशांत की बुरी नजर थी। दोनों से बचने के लिए विवेक ने जैसे ही गाड़ी आगे बढ़ाने का प्रयास किया। प्रशांत ने अपनी सर्विस पिस्टल से उन्हें गोली मार दी।

लखनऊ पुलिस ने करीब एक महीने तक प्रशांत को बचाने के लिए इसी तरह की दलीलें दी। उसे मेंटल बताया गया। इस पर भी बात नहीं बनी तो प्रशांत की सिपाही पत्नी जो पति के साथ गोमतीनगर थाने में ही तैनात थी। उससे मृतक विवेक के खिलाफ ही तहरीर दिलवा दी गई। तमाम कोशिशों के बाद वारदात में शामिल प्रशांत के हमराही सिपाही संदीप को अधिकारियों ने बचा लिया। लेकिन प्रशांत के खिलाफ हत्या के आरोप में चार्जशीट दाखिल करनी ही पड़ी थी।

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