बलिया। कहते हैं कि जब संकट आता है तो अपना साया भी साथ छोड़ देता है। जीवन- मरण के ऐसे दौर से जब कोई जूझ रहा हो और उसे कहीं से कोई आसरा ना हो, तब ऐसे में कोई व्यक्ति या संस्था उसकी मदद के लिए न केवल आगे आए बल्कि उसकी जिंदगी को भी संवार दे तो निश्चित तौर पर पर वह संस्था और व्यक्ति उसके लिए देवतुल्य हो जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ बंगाल की रहने वाली मम्पी खातून (अब मप्पी दास) और उनके पति के साथ।
बंगाल की रहने वाली मुस्लिम युवती मम्पी खातून को एक हिंदू युवक से प्रेम हो गया था लेकिन उनके प्रेम में समाज ऐसा रोड़ा बना था कि उनके जान पर बन आई थी। यह संयोग ही था कि शंकराचार्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज उन दिनों बंगाल दौरे पर थे। किसी तरह बात उन तक पहुंची। स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने उनकी मदद का विचार बना लिया। फिर क्या था वह उनकी उनकी मदद में कुछ इस तरह आगे बढ़े कि पम्मी खातून और उस से प्रेम करने वाले हिंदू युवक की शादी कराने का उन्होंने फैसला कर लिया।
धूमधाम के साथ हुई इस शादी के बाद सवाल यह था कि नव दम्पति अब आगे का जीवन कैसे व्यतीत करेंगे, उनका खर्च कैसे चलेगा?इस समस्या का भी समाधान भी स्वामी आनंद स्वरूप महाराज जी ने किया उन्होंने बलिया के शांभवी धाम स्थित अपने शंकराचार्य परिषद के विद्यालय में पम्मी दास और उनके पति को नौकरी भी दे दी। अब वह दोनों वहां खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप महाराज को इसके लिए धन्यवाद दिया। साथ ही कहा कि वह उनके लिए देव तुल्य हैं। अगर वह न होते तो आज उनकी जिंदगी कितनी नर्क हो चुकी होती। उन्होंने कहा है कि स्वामी आनंद स्वरूप महाराज और शंकराचार्य परिषद की सहायता का ही नतीजा है कि आज वह एक अच्छा और खुशहाल जीवन जी रहे।