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शंकराचार्य परिषद् ने निर्धारित किया संन्यास कार्यक्षेत्र विभाजन

वाराणसी। शाम्भवी धाम पीठाधीश्वर एवं शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनन्द स्वरूप जी महाराज ने अनेक स्तरीय मन्थन और विमर्श करने के पश्चात् युवा संन्यासियों के लिए धर्म राष्ट्र हेतु कार्य करने के लिए पद स्तरों का निर्माण किया है। उनके दृढ़ और वैश्विक चिंतन से युक्त नेतृत्व में युवा स्त्री-पुरुष धर्म कार्य हेतु संन्यास ले रहे हैं। उनके योगक्षेम की चिंता संस्था करेगी।

महाराजश्री के आदेश को प्राप्त कर अखिल भारतीय विद्वत् परिषद ने कार्य क्षेत्र का चिंतन प्रस्तुत किया। युव संन्यासी बने साधकों के चार स्तर होंगे। जो निम्नलिखित हैं:-

1- सर्वपति (सर्वोच्च व्यक्ति)
2- सह सर्वपति (आठ संन्यासी व्यक्ति)
3- प्रान्त पति (प्रत्येक प्रान्त से संन्यासी)
4- षड्पति (छः जिलों का समन्वयक संन्यासी)
5- सह षड्पति (दो संन्यासी)
6- क्षेत्रपति
7-सह क्षेत्रपति

इस प्रकार से धर्म और राष्ट्र के लिए कार्य करने वाले संन्यासियों का क्षेत्र और कार्य विभाजन तय किया जाएगा। आचार्य चाणक्य की व्यूह रचना पद्धति को ही महत्त्व देते हुए क्षेत्र का क्रम और आदिशंकराचार्य की कार्य पद्धति के अनुरूप राष्ट्र संन्यासियों का निर्माण किया जा रहा है। विद्वत्परिषद ने पदों को धर्म की गरिमा के अनुकूल संज्ञा प्रदान करने पर ध्यान रखा है।

इसी माह में काशी में संन्यास ग्रहण करने वाले युवक और मातृशक्ति का समवाय एकत्रित होगा। पुनश्च उनका अभिषेक हरिद्वार के कुम्भ में सम्पन्न कराया जाएगा। ध्येय है कि महाराज श्री ने देश के विद्वानों से विमर्श कर तीव्र गति से कार्यारम्भ किया है। भगवान अव्यय सनातन पुरुष कार्य की सफलता का आशीर्वाद प्रदान करें और धर्म राष्ट्र की स्थापना में अभिषिक्त धर्माभिमानियों को शक्ति प्रदान करें। यह जानकारी डॉ कामेश्वर उपाध्याय (अखिल भारतीय विद्वत्परिषद) ने दी।

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