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UP में 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला

लखनऊ। उत्तर प्रदेश का बेसिक शिक्षा विभाग लगातार सुर्खियों में है। पहले पंचायत चुनाव के दौरान बड़ी तादात में कोविड से शिक्षकों की मौत लेकर यह विभाग चर्चा के केंद्र में रहा। फिर महकमे के मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई की नियुक्ति पर भी खूब किरकिरी हुई। लेकिन विभाग के विवाद यहीं थम नहीं रहा। अब विभाग पर 69 हजार शिक्षक भर्ती में भी घोटाला करने के आरोप लग रहे हैं। खास बात यह है राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग खुद में इस प्रकरण ने बड़े पैमाने पर धांधली की बात स्वीकार कर रहा है। इस संबंध में आयोग की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब भी मांगा गया है पर अब तक कोई जवाब सरकार की तरफ से मिलने की जानकारी नहीं हुई है।

जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण संबंधी नियमों की अनदेखी किए जाने की पुष्टि की है। इस रिपोर्ट में 5,844 सीटों पर आरक्षण घोटाला किए जाने की बात सामने आई है। इस संबंध में आयोग की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब भी मांगा गया है। हालांकि जानकारों की माने तो अभी तक सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है।

2019 में हुई थी भर्ती प्रक्रिया

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2019 में 69,000 शिक्षक पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों का पालन न किए जाने के आरोप लगे। कुछ अभ्यर्थियों की तरफ से इस संबंध में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में शिकायत की। शिकायत के मुताबिक यह भर्ती उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन टीचर्स सर्विस रूल 1981 के अनुसार किया जाना था। भर्ती प्रक्रिया के तहत 6 जनवरी 2019 को परीक्षा कराई गई और 1 मई 2000 को अंतिम चयन जारी हुआ। शिकायतकर्ता के अनुसार इसमें आरक्षित वर्ग के लिए आवंटित सीटें अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को दी गई। आरोप है कि इसके चलते पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को 5,844 सीटों का नुकसान हुआ है। जिसके आधार पर आयोग ने अपने स्तर पर शिकायतों की जांच की और आरोपों को सही पाया गया।

रिजर्वेशन के नियमों की अनदेखी करने का लगा आरोप

अभ्यर्थियों का कहना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में OBC वर्ग को 27% आरक्षण की जगह इस भर्ती में मात्र 3.86% आरक्षण मिला है। OBC कोटे की 18,598 सीटों में से इस वर्ग के अभ्यर्थियों को मात्र 2,664 सीट ही प्राप्त हुई हैं और OBC वर्ग की लगभग 15 हजार के करीब कोटे की सीटें सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को दे दी गईं। ठीक इसी प्रकार अनुसूचित जाति वर्ग को इस भर्ती में 21% आरक्षण की जगह मात्र 16% के लगभग आरक्षण प्राप्त हुआ है। अभ्यर्थियों ने बताया कि इस संबंध में विभाग से लेकर जिम्मेदारों तक कई शिकायतें की गई। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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