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अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी विरोधी दिवस

बंधुआ मजदूरी से पायी मुक्ति, अब बनेंगे दूसरों की शक्ति

बंधुआ मजदूरी से मुक्त तीन सौ युवाओं के समूह ने सांसदों को भेजा ज्ञापन

मानव तस्करी रोकथाम बिल को हर हाल में पारित कराने का किया अनुरोध

वाराणसी। बंधुआ मजदूरी से मुक्त लगभग तीन सौ युवाओं के समहू ‘आजाद शक्ति’ ने अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी विरोधी दिवस पर शुक्रवार को सांसदों को ज्ञापन भेज कर उनसे अनुरोध किया कि वह उनकी पीड़ा को संसद तक पहुंचाने के साथ ही प्रस्तावित मानव तस्करी रोकथाम बिल का समर्थन करें, ताकि उनके जैसा और कोर्इ भी व्यक्ति बंधुआ अथवा बाल मजदूरी का शिकार न बने। मानव तस्करी हर हाल में रुके और ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।

‘आजाद शक्ति’ ऐसे तीन सौ युवाओं का समूह है जो कभी बंधुआ मजदूर थे। इस अभिशाप से मुक्त होने के बाद अब वह वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, जौनपुर व संतरविदासनगर भदोही में बाल, बंधुआ मजदूरी व मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रस्तावित मानव तस्करी रोकथाम बिल के समर्थन में इस संगठन से जुड़े लोगों ने शुक्रवार को अंतराष्ट्रीय मानव तस्करी विरोधी दिवस पर अपने-अपने जिलों में सांसदों के नाम सम्बोधित ज्ञापन उनके प्रतिनिधियों को सौंपा। आजाद शक्ति के कल्लू वनवासी और बाबूलाल के नेतृत्व में वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय कार्यालय में ज्ञापन सौंपा गया। चंदौली में देवेन्द्र कुमार, चन्द्रीका व भदोही में मुनीबजी, वीरेन्द्र के नेतृत्व में, जौनपुर में पन्ना वनवासी, हरिकेश व मिर्जापुर में रामआसरे, लालफुल के नेतृत्व में समूह के लोगों ने सांसद प्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंप कर उनसे अपनी पीड़ा संसद तक पहुंचाने की मांग की। कहा कि वह प्रस्तावित ’मानव तस्करी रोकथाम विधेयक’ हर हाल में संसद में समर्थन करें।

क्या है मानव तस्करी रोकथाम विधेयक?

प्रस्तावित विधेयक के मसौदा के अनुसार, मानव तस्करी के दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को कम से कम सात साल की जेल होगी, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है। दोषी पर कम से कम एक लाख रुपये का और अधिकतम पांच लाख रूपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। मानव तस्करी के अवैध व्यापार से अर्जित धन प्राप्त संपत्ति को भी विस्तृत प्रावधानों के साथ जब्त किया जा सकेगा। इसके अलावा, तस्करी के गंभीर रूप में वर्गीकृत अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रस्ताव किया गया है।

विधेयक का उद्देश्य-इसका उद्देश्य व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की तस्करी पर अंकुश लगाना है। पीड़ितों को उनके अधिकारों का सम्मान करते हुए देखभाल, सुरक्षा और पुनर्वास प्रदान करने और उनके लिए एक सहायक कानूनी, आर्थिक और सामाजिक वातावरण बनाने पर जोर देना इसका मुख्य उद्देश्य है।

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