वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के 2 हॉस्टल के छात्रों के बीच 26 अगस्त की रात मारपीट, पथराव, हवाई फायरिंग और पेट्रोल बम फेंके जाने की घटना के बाद कैंपस का माहौल एक बार फिर गर्म है। महामना पं. मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित इस विश्वविद्यालय की साख पर यहीं के छात्र बट्टा लगा रहे हैं। हालत यह है कि कोरोना महामारी के कारण इस साल अब तक ज्यादातर समय BHU बंद रहा। इसके बावजूद हत्या जैसे जघन्यतम अपराध से लेकर हवाई फायरिंग, पेट्रोल बम फेंकने, तोड़फोड़ और मारपीट जैसी आपराधिक घटनाओं में 1 जनवरी से लेकर 27 अगस्त तक 10 बार BHU के छात्रों का नाम सामने आया।
यह स्थिति विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों की कार्यकुशलता और यहां के सुरक्षा तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करती है। इसके साथ ही पुलिस और पीएसी को हर बार भाग कर BHU कैंपस आना पड़ता है तो शहर का लॉ एंड ऑर्डर भी प्रभावित होता है। इन हालात के बीच अब जबकि 1 सितंबर से विश्वविद्यालय में पठन-पाठन एक बार फिर शुरू होगा तो BHU प्रशासन के साथ ही वाराणसी पुलिस के लिए भी कैंपस का माहौल शांत रखना एक बड़ी चुनौती होगा।
जनवरी से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ
- जनवरी में BHU कैंपस में पीएम मोदी और कृषि मंत्री का पोस्टर जलाने को लेकर एबीवीपी और आइसा के छात्र गुटों में मारपीट हुई।
- फरवरी में बिड़ला-सी हॉस्टल में मारपीट और फायरिंग की घटना में 4 छात्रों का नाम आया।
- मार्च में एलबीएस और बिड़ला हॉस्टल के छात्रों के बीच मारपीट हुई।अप्रैल में BHU परिसर से एंबुलेंस चालक के अपहरण के मामले में 4 छात्रों का नाम आया।
- अप्रैल में ही लंका स्थित रविदास गेट में फल विक्रेता की हत्या और उसके भाई के हत्या के प्रयास के मामले में 6 छात्रों का नाम आया।
- जून में BHU ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों के साथ मारपीट और बदसलूकी में 3 छात्रों का नाम आया।
- जुलाई में प्रधानमंत्री के आगमन के दौरान छित्तूपुर गेट पर हंगामा करने के आरोप में लंका थाने में छात्रों पर मुकदमा दर्ज हुआ।
- अगस्त में BHU परिसर में छात्रा से छेड़खानी और उसके दोस्त से मारपीट में 3 छात्रों का नाम आया।
- अगस्त में राजनीति शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष और कर्मचारियों को छात्रों ने बंधक बनाकर प्रदर्शन किया।
- अगस्त में राजा राममोहन राय और बिड़ला हॉस्टल के छात्रों के बीच मारपीट, पथराव, पेट्रोल बम फेंकने और हवाई फायरिंग में 11 छात्रों का नाम सामने आया।
इन घटनाओं के अलावा विश्वविद्यालय के कैंपस के बाहर लंका, सुसुवाही, छित्तूपुर और डाफी बाईपास के ढाबों में आए दिन मारपीट और कहासुनी की घटनाओं में BHU के छात्रों का नाम सामने आता रहता है।
सालाना 15 करोड़ खर्च होता है सुरक्षा पर
BHU परिसर की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभालने वाले प्रॉक्टोरियल बोर्ड में मौजूदा समय में सर सुंदरलाल अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर को छोड़कर 550 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। यह सभी भूतपूर्व सैनिक हैं। प्रॉक्टोरियल बोर्ड में चीफ प्रॉक्टर सहित तकरीबन 75 अधिकारी हैं। कैंपस में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और कंट्रोल रूम भी बना हुआ है।
प्रॉक्टोरियल बोर्ड का सालान बजट लगभग 15 करोड़ रुपए है। इन सबके अलावा BHU प्रॉक्टोरियल बोर्ड का अपना अलग खुफिया तंत्र भी है। इसके बाद भी BHU परिसर की स्थिति कभी भी अराजक हो जाती है। बवाल की हर घटना के बाद यही बात सामने आती है कि विश्वविद्यालय का खुफिया तंत्र और सुरक्षाकर्मी माहौल को भांपने में चूक गए। ऐसा क्यों होता है, यह वाराणसी पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की भी समझ से परे है।
सुरक्षा गार्ड मुस्तैदी के साथ ड्यूटी करते हैं
चीफ प्रॉक्टर प्रो. आनंद चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय के सुरक्षा गार्ड पूरी मुस्तैदी के साथ ड्यूटी करते हैं। हिंसक घटनाओं में वे चोटिल भी होते हैं। विश्वविद्यालय की सुरक्षा व्यवस्था में चूक बर्दाश्त नहीं है। जो भी तत्व कैंपस की मर्यादा के खिलाफ काम कर रहे हैं उनकी पहचान की जा रही है। वहीं अंतिम वर्ष के जिन छात्रों की परीक्षा समाप्त हो चुकी है उनसे भी 29 अगस्त तक छात्रावासों को खाली कराया जाएगा। पथराव और मारपीट की घटना के दोषियों पर विश्वविद्यालय के स्तर से कार्रवाई की प्रकिया जल्द ही शुरू की जाएगी।
उपद्रवी छात्रों को चिह्नित कर सख्ती से पेश आएं
BHU के एक भूतपूर्व चीफ प्रॉक्टर ने कैंपस में हो रही हिंसक घटनाओं को लेकर कहा कि छात्रों की काउंसिलिंग कर उन्हें सही रास्ते पर लाने का प्रयास करना चाहिए। यदि वे फिर भी नहीं मानते हैं तो उन छात्रों से विश्वविद्यालय की तमाम सुविधाएं वापस लेकर कैंपस से बाहर कर देना चाहिए या फिर जिला प्रशासन की मदद से कड़ा एक्शन लिया जाना चाहिए। यथास्थिति बनाए रखने से उपद्रवती छात्रों पर नियंत्रण नहीं रखा जा सकता है। गिने-चुने छात्रावासों में नाममात्र के 10-15 छात्र ही उपद्रवी हैं और उन्हीं के चलते बार-बार कैंपस का माहौल खराब होता है। विश्वविद्यालय में पठन-पाठन शुरू होने से पहले उपद्रवी छात्रों को चिह्नित कर उनके साथ सख्ती से पेश आकर माहौल को ठीक करने का प्रयास करना चाहिए।
पुलिस की बार-बार दखलंदाजी ठीक नहीं
वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के डीसीपी काशी जोन अमित कुमार ने कहा कि जब भी BHU परिसर का माहौल अशांत होता है तो जांच में यही बात सामने आती है कि बवाल की जड़ में बाहरी छात्र थे। आखिरकार बाहरी छात्र विश्वविद्यालय के हॉस्टल में कैसे ठहरते हैं। हॉस्टल में असलहे और पेट्रोल बम कहां से आते हैं। हॉस्टलों के वार्डेन और प्रॉक्टरोयिल बोर्ड को कमरों का औचक निरीक्षण कर देखना चाहिए कि उनमें कौन ठहरा हुआ है। किसी भी शैक्षणिक परिसर में पुलिस की दखलंदाजी बार-बार ठीक नहीं होती है। BHU का तो अपना एक अलग गौरवशाली अतीत है।
इसके बावजूद स्थिति असामान्य होगी और लॉ एंड ऑर्डर प्रभावित होगा तो हम सख्ती से पेश आएंगे। लंका स्थित रविदास गेट पर फल विक्रेता की हत्या और उसके भाई के हत्या के प्रयास में जिन छात्रों का नाम सामने आया था, उनके खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट की तहत कार्रवाई की गई है। इसके अलावा जिन भी छात्रों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए हैं, पुलिस उनके साथ नरमी से पेश नहीं आएगी।