वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विवादित पोस्टर लगाने वाले विश्व हिंदू सेना अध्यक्ष अरुण पाठक की तलाश में पुलिस वाराणसी से बिहार तक दबिश दे रही है। सिगरा, लंका और भेलूपुर थाने की पुलिस की 3 अलग-अलग टीम के लिए फिलहाल अरुण पाठक अबूझ पहेली बने हुए हैं। पुलिस का मानना है कि अरुण पाठक उत्तर प्रदेश से सटे बिहार के किसी जिले में शरण लिए हुए है। तकनीक के जानकार होने के कारण उनके मोबाइल को ट्रेस कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है। उधर, इस कार्रवाई से बेफिक्र होकर अरुण पाठक फेसबुक और ट्विटर पर योगी सरकार और पुलिस विरोधी पोस्ट लगातार कर रहे हैं।
वाराणसी में 2 बार जगह-जगह लगाए विवादित पोस्टर
अरुण पाठक ने 2 जुलाई और 5 जुलाई की रात शहर के अलग-अलग स्थान पर मोदी-योगी को ढोंगी और हिंदू विरोधी बताते हुए पोस्टर लगाए थे। इसे लेकर अरुण पाठक के खिलाफ लंका, भेलूपुर और सिगरा थाने में 3 अलग-अलग मुकदमे पुलिस की ओर से दर्ज किए गए। इस संबंध में तीनों ही थानों के प्रभारियों ने कहा कि छापेमारी के साथ ही सर्विलांस की मदद से भी अरुण पाठक का पता लगाया जा रहा है। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित भी किया गया है कि अरुण पाठक और उनके समर्थक दोबारा शहर में विवादित पोस्टर न लगाने पाएं।
पुलिस कैमरा और मेरी बेटी का मोबाइल ले गई
अरुण पाठक ने बुधवार की सुबह अपने फेसबुक एकाउंट से फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला। लिखा कि योगीजी मैंने ढोंगी कहा तो आपको इतना बुरा लग गया कि रात 1:30 बजे आपकी पुलिस मेरे घर में घुस जाती है। जैसे कि वो किसी हिंदूवादी का घर न होकर आतंकवादी का हो। पुलिस घर में सुरक्षा के लिए लगाया गया कैमरा, डीवीआर और मेरी बेटी का मोबाइल भी ले गई। मेरे बड़े भाई को भी उठा ले गई, जिनकी किडनी खराब है।
क्या मैं हाफिज सईद हूं या सैय्यद सलाउद्दीन हूं या आईएसआई का एजेंट हूं। हिंदुत्व के लिए आपके शरीर का कितना रक्त बहा है, आपने कितनी लाठियों खाई हैं। मैंने पहला रक्ताभिषेक मां श्रृंगार गौरी आंदोलन में किया था। दर्जनों बार हिंदुत्व के नाम पर लाठियां भी खाई, जेल भी गया और विषपान तक किया। इतना त्याग करने वाले हिंदूवादी के साथ आतंकवादी वाला व्यवहार किया जा रहा है। लोकतंत्र में अपनी बात रखने को हर लोग स्वतंत्र हैं। क्या आप मेरे परिवार की हत्या करवाना चाहते हैं…?