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सिविल सर्जन ने पटना DM से बोला झूठ

पटना। ऑक्सीजन के लिए लोग तड़प कर मर रहे हैं और सिविल सर्जन डीएम से झूठ बोल रही हें। सैकड़ाें संक्रमितों की जान बचाई जा सकती थी लेकिन अब मनमानी पर पर्दा डालने के लिए झूठ का सहारा लिया जा रहा है। आम जनता की जान से खिलवाड़ करने और फिर बचाव में झूठ का सहारे लेने के इस गंभीर मामले का सच दैनिक भास्कर उजागर कर रहा है। इस खुलासे के साथ यह बड़ा सवाल भी है कि सिस्टम इस झूठ के लिए जिम्मेदार पर क्या कार्रवाई कर रहा है।

एक साल से जंग खा रहे सिलेंडर

जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय के सामने खुले में 45 लीटर के लगभग 50 ऑक्सीजन सिलेंडर खुले में जंग खा रहे हैं। भास्कर को जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक एक साल से सिलेंडर यहां पड़े हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर धूल मिट्टी में दबे हैं और कुछ खड़े हैं। सिलेंडरों का कैप तक नहीं खुला है और ना ही सिलेंडर से प्लास्टिक निकाली गई है। इसे देख आम आदमी भी अंदाजा लगा सकता है कि सिलेंडर कितने दिनों से जंग खा रहे हैं।

एक सिलेंडर पर 24 घंटे जिंदा रह सकता है मरीज

जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय के बाहर फेंके गए लगभग 50 ऑक्सीजन सिलेंडरोें से हर दिन कई जिंदगियां बचाई जा सकती थी। ऑकसीजन एक्सपर्ट की मानें तो एक सिलेंडर 45 लीटर का है और इससे एक मरीज को 24 घंटे तक जिंदा रखा जा सकता है। अगर 50 सिलेंडर हैं तो 50 लोगों की जान इन सिलेंडरों से 24 घंटे तक तो बचाई जा सकती है। स्वास्थ्य विभाग की मनमानी के कारण कोरोना के संकट काल में भी इन ऑक्सीजन सिलेंडरों का उपयोग नहीं हो पाया है।

भास्कर ने DM को बताया मामला, CS बोल गई झूठ

दैनिक भास्कर ने इस गंभीर मामले को DM डॉ चंद्रशेखर सिंह तक पहुंचाया। जब DM ने CS डॉ विभा कुमारी से सवाल किया तो उन्होंने IAS अफसर को भी पढ़ा दिया। अब आपको बता रहे हैं, CS का जवाब और भास्कर का सच।

DM ने दिया CS के हवाले से जवाब

सिविल सर्जन, पटना ने DM को कहा कि डीएचएस के स्टोर के पास रखा हुआ खाली सिलेंडर वस्तुतः सभी पीएचसी से 2 दिन के भीतर ही मंगाया गया था जिसे आवश्यकतानुसार डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में भेजा जाना था। इन सिलेंडरों को रिफिलिंग के लिए भेज दिया गया है, जिसे आवश्यकतानुसार उपयोग किया जाएगा। इस संबंध में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि पीएचपी से सिलेंडर आने की सतत प्रक्रिया है, जिसे रिफिलिंग के उपरांत उपयोग किए जाते हैं।

सिविल सर्जन ने कहा- सबकुछ हम नहीं देख सकते

इस मुद्दे पर भास्कर रिपोर्टर ने पटना की सिविल सर्जन डॉक्टर विभा कुमारी से बात की। उन्होंने हमें भी पहले वही बताया, जो जवाब उन्होंने DM को दिया था। फिर सवाल-जवाब के क्रम में कहा कि सबकुछ के लिए हम ही जिम्मेवार नहीं हैं। हर चीज हम नहीं देख सकते। भास्कर ने फिर पूछा कि इन सिलेंडरों के उचित उपयोग के लिए कौन जिम्मेवार हैं, इसपर उन्होंने कहा कि बहुत लोग हैं। लोग बदलते रहते हैं। कभी कोई कर्मी होता है, तो कभी कोई।

भास्कर के पास है झूठ का सबूत

सिविल सर्जन ने पटना DM को जो झूठा पाठ पढ़ाया है और पटना में ऑक्सीजन से मर रहे लोगों की मदद के नाम पर मनमानी कर पर्दा डालने की कोशिश की है उसका सबूत भास्कर के पास है। भास्कर के पास सबूत है कि यह ऑक्सीजन सिलेंडर काफी दिनों से फेंके गए हैं और सिविल सर्जन DM से झूठ बोलकर बच रही हैं। भास्कर ने इन सिलेंडरों की तस्वीर 1 मई 2021 काे दिन में 1 बजकर 32 मिनट 2 सेकेंड पर क्लिक की थी। भास्कर के पास फोटो की लोकेशन हिस्ट्री के साथ समय और फोटो से संबंधित पूरा सबूत है। इसमें समय के साथ सचिवालय हाल्ट गर्दनीबाग का GPS लोकेशन है, इसे भी ट्रैक कर सच्चाई का पता लगाया जा सकता है।

बड़ा सवाल : इस झूठ पर माफी या सजा

अब बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ जनता की मौत ऑक्सीजन के अभाव में हो रही है। हॉस्पिटल में लोग ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं, सौदागर सांसो का सौदा कर रहे हैं। ऐसे में लगभग 50 सिलेंडर जंग खा रहे हों और चोरी पकड़ने पर झूठ बोला जा रहा हो। ऐसे गंभीर मामले पर जिम्मेदार के झूठ को माफी दी जानी चाहिए या सजा, यह भी जिम्मेदारों को तय करना है। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की मुखिया का यह झूठ मनमानी कई सांसों पर भारी पड़ा है। अब इस मामले में कार्रवाई होगी या फिर क्षमा, यह जिम्मेदारों को तय करना है।

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