लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना की रोकथाम के लिए लगी पाबंदियां दिहाड़ी मजदूरी करके पेट पालने वाले गरीबों पर भारी पड़ने लगी। कुर्सी रोड पर एक निर्माणाधीन बिल्डिंग का काम बिल्डर ने पाबंदियों की वजह से बंद किया तो वहां काम कर रहे मजदूरों ने जिस अल्फाज में अपना दर्द बयां किया वह मौजूदा हालात और सरकार के दावों की असलियत समझने के लिए काफी है। मजदूरों ने कहा कि इसाहब दिहाड़ी की जगह बस पेटभर खाना देना काम न बंद करो।
जानकारी के अनुसार, कुर्सी रोड पर हाउसिंग अपार्टमेंट बनवा रहे बिल्डर अतुल यादव ने बताया कि कुर्सी रोड पर उनकी साइड है। यहां बक्शी का तालाब क्षेत्र के आधार खेड़ा गांव के लेबर शाबिर, गुड्डू, विनोद, किशुन समेत आधा दर्जन मजूदर परिवार के साथ यहां काम कर रहे थे। सरकार ने लॉकडाउन में निर्माण पर पाबंदी लगाई तो काम बंद करना पड़ा।
दो दिन बाद ही सभी मजदूर बिना बताए साइड पर वापस लौट आये। मजदूरों ने कहा कि परिवार बड़ा है और घर में खाने को रोटी नहीं। हर तरफ काम बंद है। ऐसे में खाने के लाले पड़ गए। कहा कि जब तक पाबंदी लगी है वह बस पेट भर खाने पर काम कर लेंगे।
बच्चों को भूख से तड़पता देख खुद मेटेरियल लाकर शुरू किया काम
अतुल ने बताया कि दो दिन पहले मजदूर फिर से वापस आये तो साइड पर मैटेरियल नहीं था। वह मेट से पैसा लेकर सीमेंट लाये और खुद काम शुरू कर दिया। लेकिन महामारी को देखते हुए फिर से काम बंद करवा दिया गया। सभी मजदूरों को एक महीना का पैसा देकर घर भेजा गया। हालात सामान्य नहीं हुए तो इनके खाने पीने की व्यवस्था आगे भी की जाएगी।