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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी की नई गाइडलाइन

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर भयावह हो चुकी है। बीते 24 घंटे में रिकॉर्ड 20,510 केस मिले। इसके बाद एक्टिव केस की संख्या 1,11,835 पहुंच गई है। अब तक 9,376 लोगों की मौत हुई है। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अदालतों व अधीनस्थ अधिकरणों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसके अनुसार सभी मुख्य अदालतें, विशेष न्यायालय और अधिकरण भौतिक व वर्चुअल दोनों तरह काम करेंगे।

बता दें कि इसके अलावा विशेष क्षेत्राधिकार के न्यायालय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और सिविल जज वरिष्ठ श्रेणी व कनिष्ठ श्रेणी की अदालतें भी भौतिक व वर्चुअल काम करेंगी। हाईकोर्ट प्रशासन ने न्यायिक अधिकारियों को रोटेशन के आधार पर न्यायिक कार्य देने की संभावना तलाशने का निर्देश दिया है।

इस दौरान न्यायिक अधिकारी लंबित और नए जमानत प्रार्थना पत्रों, अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्रों, अर्जेंट क्रिमिनल एप्लीकेशन, सिविल मामलों में निषेधाज्ञा जैसे जरूरी प्रार्थना पत्रों, विचाराधीन बंदियों के रिमांड व अन्य उन सभी मामलों की सुनवाई करेंगे जिनमें अदालत से समयबद्ध निस्तारण का आदेश है। इसके अतिरिक्त अन्य मामले जिला जज या अधिकरणों, परिवार न्यायालयों के पीठासीन अधिकारी द्वारा उचित समझे जाने पर सुने जाएंगे।

अदालतों को ईमेल ID तैयार करने का निर्देश

हाईकोर्ट ने जिला न्यायालयों को ई-मेल ID तैयार करने का निर्देश दिया है। अधिवक्ता इसी ई-मेल ID पर जमानत प्रार्थना व अन्य प्रार्थना पत्र दाखिल करेंगे। ई-मेल से भेजे जाने वाले प्रार्थना पत्रों में अधिवक्ता व वादकारी का नाम, मोबाइल नंबर , ई-मेल ID आदि अनिवार्य रूप से दर्ज करना होगा। कम्प्यूटर विभाग ई-मेल से प्राप्त प्रार्थना पत्रों को डाउनलोड कर उनकी लिस्ट तैयार करेगा। इस प्रकार प्राप्त सभी प्रार्थना पत्रों को CIS (केस इन्फार्मेशन सिस्टम) पर अपलोड करना होगा।

अदालत में रखी जाएंगी सिर्फ चार कुर्सियां

कम्प्यूटर विभाग को वकीलों, वादकारियों और संबंधित लोगों को ई-कोर्ट ऐप की जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि एक अदालत में सिर्फ चार कुर्सियां ही रखी जाएंगी। गेट पर सैनिटाइजर की व्यवस्था करना होगा। अदालत का स्टॉफ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेगा। जिला जजों को बार एसोसिएशन के सदस्यों से वार्ता कर कामकाज का तरीका निश्वित करने को कहा गया है। जहां तक संभव हो जिस्टी मीट सॉफ्टवेयर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुकदमों की सुनवाई करने को कहा गया है। इसका वीडियो लिंक संबंधित अधिवक्ता, वादकारी और अभियोजन को शेयर किया जाएगा। इसके अलावा ज्यूडिशियल सर्विस सेंटर को फ्रेश मुकदमे प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है।

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