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बिकरु गांव में 25 साल बाद ‘लोकतंत्र’ का उत्सव

कानपुर। उत्तर प्रदेश के 18 जिलों में आज त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है। इस कड़ी में कानपुर के 826 मतदान केंद्रों पर मतदाता अपने अधिकार का प्रयोग करेंगे। लेकिन बिकरु गांव में 25 साल बाद इस बार लोकतंत्र का उत्सव मनाया जा रहा है। यह गांव गैंगस्टर विकास दुबे का गांव है। बीते 25 सालों से विकास दुबे जिसे चाहता था उसे निर्विरोध चुनाव जितवा देता था। लेकिन उसके अंत के बाद लोग बिना किसी डर या भय के वोट डालने मतदान केंद्र पहुंच रहे हैं।

बता दें कि बिकरु गांव के प्राथमिक विद्यालय में बने मतदान केंद्र पर मतदाताओं की भीड़ कतारबद्ध है। लेकिन पुलिस की इस गांव पर पैनी नजर है। यहां 1500 लोग पाबंद किए गए हैं। गांव में सभी असलहे जमा करा लिए गए हैं। ड्रोन से मतदान केंद्रों की निगरानी की जा रही है।

जिसको चाहता उसे चुनाव में जितवा देता था विकास दुबे

बीते साल 10 जुलाई को कानपुर के भौंती में UP STF के हाथों में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे की मर्जी के बिना गांव में पंचायत चुनाव लड़ने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था और जिसको अपराधी विकास दुबे चाहता था वही पर्चा दाखिल करता था और फिर वही चुनाव लड़ता था। लगभग 25 वर्षों तक गांव में होने वाले पंचायत चुनाव में सिर्फ और सिर्फ उसी के परिवार का वर्चस्व रहा और ज्यादातर उसके परिवार के लोग निर्विरोध चुनाव जीत जाते थे।

अपराधी विकास दुबे खुद तो निर्विरोध चुनाव जीता ही जीता और साथ में दो बार भाई की पत्नी व नौकर की पत्नी तथा करीबी को निर्विरोध प्रधान बनवाया। लेकिन इस बार के चुनाव में बिकरु गांव की कुछ अलग ही तस्वीर दिखाई पड़ रही है। जहां कभी विकास दुबे के खिलाफ खड़े होने की कोई हिम्मत नहीं कर पाता था, आज उसी पंचायत सीट पर 10 दावेदार प्रधान पद के लिए चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं और ग्रामीण भी वोट डालने के लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

क्या है बिकरु कांड?

कानपुर में थाना चौबेपुर के अंतर्गत बिकरु गांव में 2 व 3 जुलाई 2020 की मध्य रात्रि अपराधी विकास दुबे व पुलिस के बीच मुठभेड़ हो गई थी। जिसमें आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे और वहीं पुलिस ने भी ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए अपराधी विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया था।

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