वाराणसी। कोरोना काल में जांच किट, ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन के बाद अब वैक्सीन लगवाने पर 1500 रुपए मिलने का झांसा देकर साइबर जालसाज लोगों को चूना लगा रहे हैं। इसके लिए व्हाट्स ऐप्प और ई-मेल पर क्यूआर कोड भेजा जा रहा है। लोगों को आसानी से यकीन हो जाए इसके लिए क्यूआर कोड पर SBI का नाम और लोगो भी लगाया जा रहा है। ऐसे जालसाजों के झांसे में आने पर बैंक खाते से पैसा गायब होने में देरी नहीं लगेगी।
पुलिस के पास पहुंचे पीड़ितों की जुबानी
वाराणसी के सिकरौल क्षेत्र के आलोक सिंह ने 25 जुलाई को कोरोना की वैक्सीन लगवाई। उनके व्हाट्स ऐप्प नंबर पर उसके बाद क्यूआर कोड आया। कहा गया कि उसके तत्काल स्कैन करें और तत्काल 1500 रुपए पाएं। SBI का नाम और लोगो लगा देख आलोक ने तत्काल क्यूआर कोड स्कैन किया और उनके खाते से 32 हजार रुपए निकल गए।
लंका थाना अंतर्गत नरिया निवासी अमरेंद्र शंकर उपाध्याय ने 26 जुलाई को कोरोना की वैक्सील लगवाई। इसके बाद उनके ई-मेल पर क्यूआर कोड आया। थोड़ी देर बाद उन्हें कॉल कर कहा गया कि उसे स्कैन कर 1500 रुपए पाएं। SBI का नाम और लोगो देख अमरेंद्र शंकर भी तत्काल क्यूआर कोड स्कैन किए और उनके खाते से 41500 रुपये निकल गए।
लंका थाना अंतर्गत करौंदी निवासी संजय पांडेय ने भी 26 जुलाई को कोरोना की वैक्सीन लगवाई। संजय के व्हाट्स ऐप्प पर एक अनजान नंबर मैसेज से क्यूआर कोड आया। इसके बाद उन्हें कॉल कर कहा गया कि क्यूआर कोड को स्कैन कर 1500 रुपये पाएं। SBI का नाम और लोगो देख संजय भी तत्काल क्यूआर कोड स्कैन किए और उनके खाते से 28 हजार रुपये निकल गए।
यह सब महज उदाहरण हैं, लेकिन ऐसे कई लोग हैं जो रोजाना 1500 रुपए पाने के चक्कर में जल्दबाजी कर अपनी मेहनत की कमाई गंवा दे रहे हैं। ऐसे में हमारी सतर्कता ही हमारे पैसे की सुरक्षा का एकमात्र साधन है। वैक्सीन लगवाने के बाद सरकार न पैसा दे रही है और न इस संबंध में कहीं भी कोई सूचना जारी की गई है।
क्यूआर कोड का उपयोग पेमेंट के लिए होता है
साइबर क्राइम एक्सपर्ट विजय श्रीवास्तव ने दैनिक भास्कर से बताया कि हमें हमेशा यह ध्यान में रखना चाहिए कि क्यूआर कोड का इस्तेमाल हमेशा पेमेंट करने के लिए होता है। कभी भी इसका उपयोग पेमेंट रिसीव करने के लिए नहीं होता है। ऐसे में प्रलोभन में आकर पेमेंट रिसीव करने या वैक्सीनेशन सेंटर पर रकम प्राप्त करने के नाम पर क्यूआर कोड स्कैन करना मुश्किल में डाल सकता है।
इससे आपका अकाउंट खाली होने के साथ ही बैंक खाते से जुड़ी गोपनीय जानकारी भी जालसाजों तक पहुंच जाती है। एक बात हमेशा ध्यान में रखें कि सोशल मीडिया या ई-मेल के माध्यम से कभी भी किसी अनजान नंबर से एक रुपए मिलने का भी प्रलोभन मिले तो तत्काल सतर्क हो जाएं। हमारी सतर्कता ही इंटरनेट की दुनिया में सुरक्षा का एकमात्र अभेद्य हथियार है।
इन बातों पर हमेशा दें ध्यान
- केवल उन्हीं क्यूआर कोड को स्कैन कीजिए जो भरोसेमंद हों।
- क्यूआर कोड स्कैन करते वक्त उसमें दर्ज नाम अवश्य जांच लें।
- व्हाट्स ऐप्प या सोशल मीडिया से भेजे गए क्यूआर कोड को कभी स्कैन न करें।
- एटीएम, नेट बैंकिंग, ई-मेल आदि के पासवर्ड एक अंतराल पर बदलते रहें।
- व्हाट्स ऐप्प आदि पर टू स्टेप सिक्योरिटी इनेबल करके रखें।
यहां कर सकते हैं शिकायत
- अपने नजदीकी थाने, जनपदीय साइबर सेल व बैंक में भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
- साइबर क्राइम की घटना हो तो नेशनल साइबर हेल्पलाइन 155260 पर कॉल कर तुरंत शिकायत दर्ज कराएं।
- cybercrime.gov.in पर देश के किसी भी हिस्से से शिकायत की जा सकती है।