गुवाहाटी। असम सरकार ने दारांग जिले में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान ढालपुर में हुई गोलीबारी की घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं, इस घटना में दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार जांच गुवाहाटी उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में की जाएगी। इस मामले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर असम में हुई इस हिंसक झड़प को प्रायोजित बताया है। उन्होंने कहा कि मैं असम के अपने भाई-बहनों के साथ खड़ा हूं।
गुवाहाटी, 24 सितंबर। असम सरकार ने दारांग जिले में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान ढालपुर में हुई गोलीबारी की घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं, इस घटना में दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार जांच गुवाहाटी उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में की जाएगी। इस मामले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर असम में हुई इस हिंसक झड़प को प्रायोजित बताया है। उन्होंने कहा कि मैं असम के अपने भाई-बहनों के साथ खड़ा हूं।
बता दें कि बीते गुरुवार असम पुलिस सरकारी जमीन से कब्जा हटाने पहुंची थी इसी दौरान स्थानीय लोगों और पुलिसकर्मियों के बीच टकराव हो गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने स्थानीय लोगों पर गोलियां चलाईं, जिससे दो लोगों की मौत हो गई। वहीं बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। घायलों में 9 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इस हादसे में दो पुलिसकर्मियों की भी मौत हो गई है। घटना के बाद अब असम सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं।
राज्य सरकार ने कहा कि गृह और राजनीतिक विभागों में सरकार ने 23 सितंबर, 2021 को दरांग जिले के सिपाझार राजस्व मंडल के ढालपुर क्षेत्र में हुई गोलीबारी की घटना में दो नागरिकों की मौत और पुलिस कर्मियों सहित कई अन्य लोगों के घायल होने की परिस्थितियों की जांच करने का निर्णय लिया है। असम के दरांग जिले के सिपाझार में गुरुवार को अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान हिंसा भड़क गई थी। दरंग के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुशांत बिस्वा सरमा ने कहा कि मौके पर मौजूद लोगों ने पथराव किया और पुलिसकर्मियों पर हमला किया। उन्होंने आगे कहा कि घटना में नौ पुलिसकर्मी घायल हो गए।
बता दें कि सोमवार को यहां बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया था। ढोलपुर गोरुखुटी के 800 से ज्यादा परिवारों को उनके घरों से बेदखल कर दिया गया है। मकानों को तोड़े जाने के बाद सैकड़ों की संख्या में लोग ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे रहने को मजबूर हो गए हैं। सरकारी आदेश पर ये घर तोड़े जा रहे हैं।