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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बोले— महिला जजों की नियुक्ति में भेदभाव नहीं करते

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि बहुत सी महिला वकील घरेलू जिम्मेदारियों का हवाला देकर जज बनने की पेशकश खुद ठुकरा देती हैं। मेरा मानना है कि महिला जज हाईकोर्ट में ही क्यों हो? बल्कि अब समय आ गया है कि महिला को सीजेआई के पद तक पहुंचना चाहिए।

बता दें कि सीजेआई ने यह टिप्पणी महिला वकील की उस याचिका पर की, जिसमें देश के विभिन्न हाईकोर्ट में जज के पद पर महिला वकीलों की नियुक्ति पर विचार करने की मांग की गई थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट वुमन लॉयर्स एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में मांग की गई थी कि हाईकोर्ट में महिला जजों का केवल 11% ही प्रतिनिधित्व है।

जजों की नियुक्ति के मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर कोई जिक्र नहीं है। इस पर सीजेआई ने कहा कि प्रतिनिधित्व के मुद्दों पर हमेशा कॉलेजियम द्वारा विचार किया जाता है। ऐसा नहीं है कि महिला वकीलों को जज बनाने की पेशकश नहीं की जाती। मगर ज्यादातर मामलों में महिला वकील घरेलू जिम्मेदारियों का हवाला देकर पेशकश ठुकरा देती हैं।

किसी के द्वारा कहा जाता है कि उसके बेटे की 12वीं की परीक्षा है, तो किसी के द्वारा दलील दी जाती है कि वह अपने परिवार पर ध्यान नहीं दे पाएंगी और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन सही तरीके से नहीं कर पाएंगी। जस्टिस किशन कौल ने भी सीजेआई की बातों पर सहमति जताई। सीजेेआई ने कहा कि हमारी तरफ से कोई भेदभाव नहीं किया जाता।

याचिकाकर्ता की ओर से वकील स्नेहा कलिता ने कहा कि उन्होंने यह याचिका हाई कोर्ट में महिला जजों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए दायर की थी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि सिर्फ हाई कोर्ट में ही क्यों? यह सुप्रीम कोर्ट में भी होना चाहिए। हम महिलाओं की बेहतरी चाहते हैं। हम इसे बेहतर तरीके से लागू कर रहे हैं। इसमें किसी भी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं हैं, बल्कि जरूरत केवल जज के रूप में सक्षम उम्मीदवारों की है।

सीजेआई बोले- हम चीजों को जटिल नहीं करना चाहते इसलिए नोटिस नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने महिला जजों की नियुक्ति को लेकर दायर की गई याचिका पर नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया। सीजेआई ने कहा कि हम चीजों को जटिल नहीं करना चाहते इसलिए हम कोई नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया था कि अब तक सुप्रीम कोर्ट में केवल 8 महिला जजों की नियुक्ति की गई है। भारत में महिला भी कभी चीफ जस्टिस नहीं बनी है। देश के 25 हाई कोर्ट में तेलंगाना को छोड़कर कहीं भी महिला चीफ जस्टिस नहीं है। योग्यता को देखते हुए महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।

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