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केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को दी फैसले की जानकारी

दिल्ली। औद्योगिक उद्देश्यों के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई 22 अप्रैल से नहीं की जा सकेगी। सिर्फ मरीजों के बचाव के लिए ऑक्सीजन दी जाएगी। केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। केंद्र ने कहा, “सिर्फ अपवाद मामलों में उद्याेगों को आक्सीजन दी जाएगी। बाकी की आपूर्ति पर रोक लगा दी गई है।’

हालांकि, अदालत ने केंद्र पर नाराजगी दिखाते हुए कहा, “यह फैसला 22 अप्रैल से क्यों लागू किया जा रहा है। आज से क्यों नहीं लागू किया जा रहा है। जबकि सभी जिंदगियां महत्वपूर्ण और कीमती हैं।’ हाईकोर्ट दिल्ली में कोरोना की स्थिति काे लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

केंद्र ने अदालत को बताया कि पीएम केयर्स फंड से दिल्ली में आठ ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट लगाए जाएंगे। इससे मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ेगी। इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र से ऑक्सीजन के लिए गुहार लगाई। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, “दिल्ली को ऑक्सीजन की आपूर्ति करें। अस्पतालों में कुछ घंटे के लिए ऑक्सीजन बाकी है।’ इस बारे में केजरीवाल ने केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को भी चिट्‌ठी लिखी।

उद्योग इंतजार कर सकते हैं, मरीज नहीं: हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा, ‘उद्योग ऑक्सीजन का इंतजार कर सकते हैं, कोरोना मरीज नहीं। इंसानों की जिंदगी खतरे में है। क्या सरकार उद्योगों की ऑक्सीजन आपूर्ति कम कर उसे मरीजों को मुहैया करा सकती है? हमने सुना है कि गंगा राम अस्पताल में ऑक्सीजन की उपलब्धता कम है। इसलिए वहां डॉक्टरों को कोरोना मरीजों को कम ऑक्सीजन देने के लिए मजबूर किया जा रहा था।’

अदालत ने केंद्र सरकार की अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा से सवाल किया, ‘ऐसे कौन से उद्योग हैं, जिनकी ऑक्सीजन आपूर्ति कम नहीं की जा सकती है?’ दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना मरीजों के लिए दवाओं की आपूर्ति पर भी केंद्र सरकार को आगाह किया। डिविजन बेंच ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार रेमडेसिविर जैसी दवाओं का आवंटन राज्यों की जरूरत और स्थिति के अनुसार करेगी, अन्यथा लोगों के हाथ में खून लग जाएगा। हम बर्बाद हो जाएंगे।’

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