वाराणसी। वेबीनार के माध्यम से राज्य स्तरीय खरीद उत्पादकता गोष्ठी सोमवार को उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में संपन्न हुई। जिसमें लखनऊ से राज्य मंत्री कृषि लाखन सिंह राजपूत, कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा, अपर मुख्य सचिव कृषि डॉ देवेश चतुर्वेदी सहित कृषि, पशुपालन, मत्स्य, विद्युत, सिंचाई व उद्यान आदि विभागों के उच्चाधिकारियों ने भाग लेकर खरीफ उत्पादकता हेतु व्यवस्थाओं, शासकीय सहायताओं की जानकारी दी।
वेबीनार में आयुक्त सभागार से कमिश्नर दीपक अग्रवाल एवं जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा सहित कृषि विभाग एवं अन्य विभागों के अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। गोष्ठी में बताया गया कि केंद्र सरकार ने डीएपी पर अनुदान बढ़ा दिया है। इसलिए डीएपी पूर्व रेट 1200/- रुपए में ही उपलब्ध है। किसान इससे ज्यादा पैसे नहीं दे। यदि कोई मांगे तो तत्काल शिकायत करें। यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता है, इसे पीओएस मशीन की व्यवस्था से ही बिक्री हो।
कोविड- 19 कॉल में भी कृषि सेक्टर ने अच्छा प्रदर्शन किया है। खेती भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इसे और मजबूत एवं गुणात्मक बनाने के लिए एफपीओ के गठन एवं क्रियान्वयन, बाहर हार्वेस्टिंग करने, दलहन व तिलहन के क्षेत्रफल को बढ़ाने, ड्रिप सिंचाई का उपयोग करने, जैविक खेती अपनाने, पराली प्रबंधन कर इससे कंपोस्ट बनाने, मशीनरी बैंक स्थापित करने, फसल प्रदर्शनी को अधिक से अधिक किसानों को दिखाने, प्रोडक्शन के साथ जिले में ही मार्केटिंग की व्यवस्था होने आदि पर जोर दिया गया। मत्स्य पालन के बढ़ावा हेतु इस वर्ष प्रदेश का बजट भी इससे लगभग दोगुना किया गया है। जून, जुलाई व अगस्त में वर्षा के दौरान नदियों में मत्स्य आखेट प्रतिबंध होने के समय मत्स्य पालकों को इस अवधि में 1500-1500 रुपए मासिक आर्थिक सहायता का भी प्रावधान किया गया है। ड्रिप सिंचाई उपकरणों पर 90 फ़ीसदी तक अनुदान है। किसानों की सहायता हेतु विद्युत विभाग प्रदेश में 1000 डेडीकेटेड कृषि फीडर और बनाएगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना स्वैच्छिक कर दी गई है। जो ऋणी किसान बीमा नहीं कराना चाहते, वह लिखित पत्र अपने बैंक में दे दे, ताकि बीमा किस्त राशि नहीं काटी जाए। ऑर्गेनिक खेती के प्रोडक्ट की पैकेजिंग सिंगल यूज प्लास्टिक में नहीं किए जाएं। गत 4 वर्षों में प्रदेश में गेहूं, धान, तिलहन व दलहन के उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। सहकारी संस्थाओं, कृषि विक्रय केंद्रों व अन्य लाइसेंस प्राप्त विक्रय संस्थान में खाद, बीज के स्टाक व दरें किसानों की जानकारी हेतु लिखकर प्रदर्शित किए जाए।
वेबीनार में कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि वाराणसी में खाद बीज की उपलब्धता है तथा खरीफ उत्पादकता के लक्ष्य प्राप्त करने हेतु व्यवस्थाएं की गई हैं। उन्होंने चंदौली के नारायणपुर में सिचाई परियोजना व चंदौली में मत्स्य मंडी स्थापना पर विशेष जोर दिया। वाराणसी में खरीफ़ की मुख्य फसल धान है एवं उत्पादकता का लक्ष्य 138.88 हजार मैट्रिक टन रखा गया है। जनपद में खरीद उत्पादकता लक्ष्य को पूर्ण करने हेतु बीज, उर्वरक, फसली ऋण, किसान क्रेडिट कार्ड, नमामि गंगे, नलकूप व नहरों की व्यवस्था, कृषि यंत्रों की उपलब्धता आदि के लक्ष्यों की प्लानिंग कर आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।