नई दिल्ली। बॉर्डर पर सिपाही के हाथ में जब बंदूक होती है तो अंगुली स्वाभाविक रूप से ट्रिगर पर ही होती है और निगाहें दुश्मन पर… पूरी मुस्तैदी के साथ ड्यूटी हमारे सुरक्षाबलों की खासियत है, लेकिन जब इन्हीं आंखों में मस्ती उतरती है तो पांव थिरकने लगते हैं और सब कुछ भूलकर जश्न शुरू हो जाता है।
जब बात होली की हो तो जश्न भी होता, मस्ती भी होती है और रंग भी बिखरता है। लेकिन, यही मस्ती जब 17 हजार फुट की ऊंचाई पर हो तो कहने ही क्या। दरअसल, इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस के कर्मी लद्दाख के गलबान में होली की मस्ती में थोड़े से समय के लिए पूरी तरह डूब गए।
नई दिल्ली। बॉर्डर पर सिपाही के हाथ में जब बंदूक होती है तो अंगुली स्वाभाविक रूप से ट्रिगर पर ही होती है और निगाहें दुश्मन पर… पूरी मुस्तैदी के साथ ड्यूटी हमारे सुरक्षाबलों की खासियत है, लेकिन जब इन्हीं आंखों में मस्ती उतरती है तो पांव थिरकने लगते हैं और सब कुछ भूलकर जश्न शुरू हो जाता है।
जब बात होली की हो तो जश्न भी होता, मस्ती भी होती है और रंग भी बिखरता है। लेकिन, यही मस्ती जब 17 हजार फुट की ऊंचाई पर हो तो कहने ही क्या। दरअसल, इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस के कर्मी लद्दाख के गलबान में होली की मस्ती में थोड़े से समय के लिए पूरी तरह डूब गए।