वाराणसी। समाजवादी पार्टी स्नातक खण्ड वाराणसी से विधायक आशुतोष सिन्हा ने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को पत्र लिखकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कनिष्ठ लिपिक परीक्षा में व्याप्त अराजकता, धांधली एवं मानवीय मूल्यों के हनन के सम्बन्ध में अवगत कराया।
कर्मचारी संगठनों ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कनिष्ठ लिपिक परीक्षा में व्याप्त अराजकता व धांधली के संदर्भ में सपा स्नातक खण्ड वाराणसी के विधायक आशुतोष सिन्हा से अवगत कराया, वहीं आशुतोष सिन्हा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए त्वरित रूप से लिखित पत्र के माध्यम से शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को अवगत कराया व त्वरित रूप से कार्यवाही की माँग की।
सिन्हा ने शिक्षा मंत्री को अवगत कराते हुए लिखा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कार्यरत लगभग 70 कार्यालय सहायकों की नियुक्ति विश्वविद्यालय सेवा में सत्र 2012-13 में प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर चयन एवं आंकलन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा , कम्प्यूटर टाईपिंग एवं साक्षात्कार में उत्तीर्ण होने के पश्चात् कनिष्ठ लिपिकों के रिक्त पदों के सापेक्ष किया गया था। उपरोक्त पद के लिए दैनिक समाचार पत्र एवं विश्वविद्यालय की वेबसाईट पर विज्ञप्ति जारी की गई थी एवं परीक्षा में लगभग 6000 से ज्यादा परीक्षार्थी सम्मिलित हुए थे।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रशासन ने चयन एवं आंकलन प्रकोष्ठ द्वारा कनिष्ठ लिपिक के रिक्त पदों पर नियुक्त कार्यालय सहायकों के विनीयमितिकरण न करने हेतु विगत कुछ वर्षों में योजनाबद्ध तरीके से निम्नलिखित प्रसास किये है। जो महामना मालवीय जी के मूल्यों के अनुसार न्याय संगत नही है और जिससे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने कनिष्ठ लिपिक परीक्षा में घोर धांधली किया है और किसी कार्यालय सहायक के जीवन का मूल्य भी नही समझा है।
सिन्हा ने लिखा कि विश्वविद्यालय के कार्यालय सहायक विगत 8 वर्षों से पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के साथ ही इस संकट की घड़ी में जहाँ सभी सरकारी कर्मचारियों को विश्वद्यिालय द्वारा घर से काम करने की आजादी दी गई है वहीं इन कार्यालय सहायकों को पूरे वाराणसी शहर एवं कोविड सेन्टर में कार्य करने हेतु जिलाधिकारी एवं कुलसचिव के आदेशानुसार बाध्य किया जा रहा है। इसके उपरांत भी वे सभी अपनी पूर्ण क्षमता एवं लगन से सभी कोविड सेन्टर और लैब में अपनी जान की परवाह किए बगैर अपना शतप्रतिशत योगदान दे रहे हैं।
सिन्हा ने माँग किया कि कनिष्ठ लिपिक पद पर चयन हेतु आयोजित परीक्षा को तत्काल निरस्त करने के लिए आदेश जारी करे व जिससे 8 से 10 वर्षों से सेवारत कार्यालय सहायकों के साथ न्याय हो सकें और विश्वविद्यलाय प्रशासन को सरकार द्वारा जारी नियमों के अनुसार 5 वर्ष से अधिक संविदा पर कार्यरत् कर्मचारियों को नियमों के आधार पर समायोजित करने हेतु आदेशित किया जाय।