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शंकराचार्य परिषद के प्रयासों से बची एक संत की जान

लखनऊ। HBCNews.in

चाकू से हमले में घायल संत के इलाज का वहन किया पूरा खर्च

कहने को तो देश में हजारों स्वयंसेवी संगठन है लेकिन जब वक्त आता है तो वह अपनी जिम्मेदारियों से बहानेबाजी कर कन्नी काट लेते हैं। इन सब से इतर देश में शंकराचार्य परिषद नाम से एक ऐसा भी संगठन काम कर रहा है जो न केवल देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की बल्कि संतो की रक्षा करने में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है। हाल ही में शंकराचार्य परिषद के प्रयास से एक संत की जान बच गई।

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इलाज के अभाव में जा सकती थी जान:

सीतापुर में बड़ी संगत के प्रबंधक संत बजरंग मुनि उदासीन पर गत दिनों कुछ लोगों ने चाकू से हमला कर दिया था। मरणासन्न हालत में उन्हें लखनऊ ट्रामा सेंटर ले जाया गया, जहां से हालत चिंताजनक होने के कारण उन्हें वेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, लेकिन धन अभाव व महंगा इलाज होने के कारण बजरंग मुनि उदासीन अपना इलाज कराने में पूरी तरह असमर्थ थे। स्थिति तो यह तक हो गई थी कि इलाज के अभाव में उनकी जान कभी भी जा सकती थी।

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शंकराचार्य परिषद ने ली इलाज के पूरे खर्च की जिम्मेदारी:

संत के इस हालात की जानकारी जब शंकराचार्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज को हुई तो वह घायल संत को देखने अस्पताल पहुंचे। उनका कुशल-क्षेम लेने के साथ ही घायल संत के इलाज पर होने वाले पूरे खर्च की जिम्मेदारी शंकराचार्य परिषद के लेने की घोषणा कर दी। शंकराचार्य परिषद के प्रयास का नतीजा रहा कि घायल संत अब पूरी तरह स्वस्थ होने की स्थिति में है। उन्होंने इसके लिए शंकराचार्य परिषद को आभार व्यक्त किया और कहा कि शंकराचार्य परिषद ही संतो की वास्तविक हितैषी है।

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