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पीरिएड में तेज दर्द, अधिक रक्तश्राव को न करें नजरअंदाज

• “एंडोमेट्रियोसिस” का हो सकता है लक्षण
• चिकित्सकीय सलाह, पोषक आहार व व्यायाम से दूर हो सकती है यह बीमारी

वाराणसी, 29 अक्टूबर ।     22 वर्ष की सरिता को पीरिएड के दौरान लगभग एक वर्ष से अधिक रक्तश्राव के साथ ही तेज दर्द होता था। तब वह मेडिकल स्टोर से दवाएं ले लेती थी लेकिन उसकी तकलीफ बढ़ती गयी। स्थिति यह हो गयी कि पीरिएड के दौरान उसे इस कदर असहनीय दर्द होने लगा कि वह छटपटाने के साथ ही बेहोशी की स्थिति में आ जाती थी। जब उसे सरकारी अस्पताल ले जाया गया तो पता चला कि उसे ‘एंडोमेट्रियोसिस’ बीमारी है जो अब दूसरे चरण में पहुंच चुकी है।
पंडित दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय के एमसीएच विंग में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ व वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रश्मि सिंह का कहना है कि एंडोमेट्रियोसिस बीमारी से अधिकांश महिलाएं जूझती हैं। इस बीमारी की गंभीरता का पता न होने से अक्सर वह इसके उपचार में लापरवाही बरतती हैं। उन्होंने बताया कि ओपीडी में आने वाली 100 में दस महिलाएं इस रोग से पीड़ित होती हैं। खास तौर पर किशोरियों और युवतियां इस रोग से ज्यादा प्रभावित होती हैं। जिन महिलाओं का मासिक धर्म बंद हो जाता है, उनमें एंडोमेट्रियोसिस होने की आशंका कम होती है।

क्या है ‘एंडोमेट्रियोसिस ’
डा. रश्मि सिंह बताती हैं कि ‘एंडोमेट्रियोसिस ’ गर्भाशय से संबंधित समस्या है। इसमें गर्भाशय के अंदर के टिशू (ऊतक) बढ़कर गर्भाशय के बाहर निकलने और फैलने लगते हैं। ऐसी महिलाओं को जब जब पीरियड्स होते हैं तो खून गर्भाशय के बाहर गिरकर इकट्ठा होने लगता है। इस खून की वजह से सिस्ट या गांठें बढ़ने लगती हैं। साथ ही तकलीफ भी। उन्हें तेज दर्द होता है। खासतौर पर उनका मासिक चक्र जब आता है, तब दर्द और बढ़ जाता है। इस समस्या के कारण महिलाओं में प्रजनन क्षमता भी कम हो सकती है। डा. रश्मि सिंह कहती हैं, इस रोग के लक्षण नजर आते ही तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए ताकि समय रहते इसका उपचार हो सके।
‘एंडोमेट्रियोसिस ’ के लक्षण
पीरिएड के दौरान असामान्य रूप से रक्तश्राव और तेज दर्द
समय गुजरते जाने के साथ-साथ दर्द का बढ़ते जाना
अनियमित पीरिएड व यूरिन इंफेक्शन
थकान, चिड़चिड़ापन और कमजोरी
ऐसे कर सकते हैं बचाव
डा. रश्मि सिंह बताती है कि एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर के बढ़ने से ‘एंडोमेट्रियोसिस’ होने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन को कम करके ‘एंडोमेट्रियोसिस’ होने की संभावना से बचाव किया जा सकता है। वह बताती हैं कि नियमित रूप से व्यायाम करने से भी एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए। यदि चाय, कॉफी या अन्य कोई कैफीनयुक्त पदार्थ लेने की आदत है तो इसे तुरंत छोड़ देना चाहिए। ऐसी महिलाओं को अपनी डाइट का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए और फाइबर व प्रोटीन युक्त आहार जरूर लेना चाहिए।

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