वाराणसी। बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (BLW) ने रविवार को डिस्ट्रीब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम (DPWCS) से लैस 2 इलेक्ट्रिक इंजन राष्ट्र को समर्पित किया। DPWCS मालगाड़ी की लंबी दूरी के संचालन के लिए एक अत्याधुनिक तकनीक है जो बिना कपलर बलों को बढ़ाए कई माल इंजनों के संचालन को सक्षम बनाता है। यह लोकोमोटिव पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में भारी भार को ढोएंगे। इलेक्ट्रिक इंजनों में ऐसी तकनीक BLW ने पहली बार लगाई है।
हमारी उपलब्धियों में एक नया सोपान जुड़ा : जीएम
BLW की महाप्रबंधक अंजली गोयल ने बताया कि रेल कर्मचारियों ने अपनी लगन और परिश्रम से डिस्ट्रिब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल प्रणाली को विद्युत लोको में सफलता पूर्वक लगाकर हमारी उपलब्धियों में एक नया सोपान जोड़ा है। डिस्ट्रिब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल प्रणाली युक्त डब्ल्यूएजी-9 श्रेणी के 2 विद्युत रेल इंजन 41152 और 41157 का सफलतापूर्वक निर्माण कर राष्ट्र को समर्पित किया है। इन विद्युत रेल इंजनों को दक्षिण मध्य रेलवे के ललागुड़ा लोको शेड को भेजा गया है।
डिस्ट्रिब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल प्रणाली लंबी मालवाहक ट्रेनों के संचालन के लिए अत्याधुनिक तकनीक है। यह कपलर बल में वृद्धि किए बिना, ट्रेन की संरचना में विभिन्न स्थानों (सामने, मध्य व पीछे) पर अलग-अलग रेल इंजनों (1 आगे + 3 पीछे तक) को लगा कर मालवाहक इंजनों को बहुउद्देशीय परिचालन के लिए सक्षम बनाता है। आगे लगे हुए इंजन के द्वारा पीछे लगे हुए इंजनों का नियंत्रण वायरलेस कम्युनिकेशन के माध्यम से 3 किलोमीटर की दूरी तक होता है। पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में उच्च भार वाली गाड़ियों के वहन में भी इन रेल इंजनों का प्रयोग किया जा सकेगा।
DPWCS के यह लाभ हैं
- सेक्शन के थ्रोपुट (क्षमता) में वृद्धि।
- रेल इंजन का सुदूर नियंत्रण
- कुशल ट्रेन प्रबंधन
- कपलर की विफलता खत्म हो जाती है
- कुशल ब्रेक नियंत्रण, ब्रेक बाइंडिंग की समस्या से छुटकारा, ब्रेकिंग डिस्टेंस व टूट-फूट में कमी
- तीव्रतर चार्जिंग (मल्टी प्वाइंट), इससे ब्रेक रिलीज समय कम हो जाता है
- वायरलेस तकनीक के माध्यम से मल्टीपल रेल इंजन परिचालन