लखनऊ। उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन मामले की कड़ियां केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय तक पहुंचने के बाद जांच एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। इस बीच राज्य बाल संरक्षण आयोग ने शनिवार को सभी जिलों के डीएम को पत्र भेजकर कहा है कि जिलों में संचालित अनाथ और बेसहारा बच्चों को पढ़ाने या उन्हें शेल्टर देने वाली सभी संस्थाओं की सूची तैयार करें। इनके कर्मचारियों का नाम, पता और मोबाइल नंबर भी सूची में दर्ज करें।
सरकार के निर्देश पर योजना का लाभ देने के लिए जिन बच्चों को चिन्हित किया जा चुका है उनके अभिभावकों से लगातार संपर्क में रहकर बच्चों से बातचीत करते रहें। जो बच्चे अभी चिन्हित नहीं हो सके हैं, उनका जल्दी से जल्दी पता लगाएं।
ऑडियो से गहराया था शक, पुलिस अभी तक पकड़ नहीं पाई
दरअसल, सरकार की तरफ से कोरोना काल मे बेसहारा हुए बच्चों को संरक्षण देने की योजना शुरू की गई है। इसकी घोषणा होने के कुछ दिन बाद ही बाल संरक्षण आयोग को 5 फोन कॉल ऑडियो मिले थे। इसमें कुछ लोग एनजीओ का सदस्य बनकर बच्चों को ऐसी संस्थाओं में ले जाने की बात कर रहे थे। इसकी जांच और कॉल करने वालों को पकड़ने के लिए आयोग ने डीजीपी को पत्र भेजा था। लेकिन अब तक पुलिस इन्हें पकड़ नही पाई।
अब मंत्रालय के अधिकारी की भूमिका सामने आने के बाद माना जा रहा है कि कोई धर्म परिवर्तन कराने वाला गिरोह यूपी के बेसहारा बच्चों को निशाना बना रहा था। राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता का कहना है कि ऐसी संस्थाओं और उनसे जुड़े बच्चों का पता लगाने के लिए सभी डीएम को पत्र भेजा गया है। बच्चों के सुधार और सहयोग के क्षेत्र में काम करने वाली सभी एनजीओ की भी मॉनिटरिंग शुरू कर दी गई है। सभी संस्थाओं की जानकारी ATS से भी साझा की जा रही है।
21 जून को पकड़े गए थे दो मौलाना
UPATS ने 21 जून को नोएडा से संचालित इस्लामिक दावा सेंटर के मौलाना उमर गौतम और काजी जहांगीर को लखनऊ से गिरफ्तार किया था। दोनों मूक बधिर छात्र-छात्राओं और गरीब हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करके उन्हें मुस्लिम बना रहे थे। इसकी छानबीन में पता चला कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में अनुवादक के पद पर तैनात अधिकारी सरकार से मदद के लिए आवेदन करने वाले बच्चों की लिस्ट IDC को भेज रहा था। ATS मंत्रालय के इस अधिकारी से पूछताछ कर रही है।