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18 प्लस के वैक्सीनेशन के साथ दूसरी डोज का भी संकट हुआ

कोरोना की दूसरी लहर में दवा और ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे लोग अब वैक्सीन के लिए भी तरस रहे है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सबसे अहम हथियार माना जाने वाली वैक्सीन के लिए पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है। राज्य सरकार केंद्र पर दोष मढ़ रही है तो केंद्र ‌सरकार ने राज्यों पर जिम्मेदारी डालकर अपनी जिम्मेदारियों से एक तरह से पल्ला झाड़ लिया है।

वैक्सीनेशन नीति पर ही सवाल-देश में वर्तमान में वैक्सीन को लेकर जो संकट खड़ा होता हुआ दिखाई दे रहा है उसका सीधा संबंध डिमांड और सप्लाई से जुड़ा हुआ है। वैक्सीन के संकट के लिए काफी हद तक केंद्र सरकार का जल्दबाजी में लिया गया वह निर्णय है जिसमें सरकार ने 20 अप्रैल को वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ाते हुए 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए एक मई से वैक्सीनेशन ओपन कर दिया।
पहले से वैक्सीन की कमी से जूझ रहे राज्यों के सामने पहले तो यह चुनौती खड़ी हो गई कि वह वैक्सीनेशन का कार्यक्रम कैसे शुरु करें। मध्यप्रदेश,उत्तरप्रदेश जैसे कई राज्यों में वैक्सीन नहीं उपलब्ध से एक मई से तीसरे चरण का वैक्सीनेशन शुरु ही नहीं हो पाया। मध्यप्रदेश में जैसे-तैसे पांच मई से सीमित संख्या में वैक्सीनेशन शुरु हो पाया तो वहीं उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य में 75 जिलों में से अब तक मात्र 18 जिलों में ही 18 से 44 साल तक की आयु वालों का वैक्सीनेशन शुरु हो पाया है। देश में वैक्सीन संकट को लेकर अब विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हो गया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर वैक्सीन की कमी को लेकर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है।
वैक्सीनेशन के लिए लंबी कतार-सरकार की नीतियों के चलते ही एक और जहां 18 साल से ऊपर के लोगों को सहीं तरीके से वैक्सीन नहीं मिल पा रही है वहीं अब 45 साल से ऊपर के उन लोगों के सामने वैक्सीन के दूसरी डोज का संकट खड़ा हो गया है जिन्हें वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। केंद्र सरकार के वैक्सीनेशन को बनाए गए कोविन पोर्टल पर दिए गए आंकड़ों को देखे तो इस बात का पता चलता है कि अब तक देश में 20 करोड़ से अधिक लोगों ने वैक्सीनेशन के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। जिसमें 45+ के साढ़े 13 करोड़ के लोग और साढ़े छह करोड़ से अधिक लोग 18+ के लोग शामिल है।
वहीं अब तक कुल 13 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। वहीं पौने चार करोड़ के लोग वैक्सीन का दूसरा डोज ले चुके है। ऐसे में एक बात स्पष्ट है कि
आज की तारीख में वैक्सीन का दूसरा डोज लेने की कतार में शामिल होने वालों की संख्या करीब10 करोड़ के करीब है जिसमें से सात करोड़ के लोगों को गाइडलाइन के मुताबिक मई में वैक्सीन लगनी है।
ऐसे में जब देश में हर नए दिन के साथ वैक्सीन लगवाने वालों की कतार लंबी होती जा रही है और उसकी तुलना में वैक्सीन का मात्रा नहीं बढ़ रही है तो संकट बढ़ता जा रहा है। इस समय देश में हर दिन करीब 17 लाख लोगों को वैक्सीन लग रही है। ऐसे में आज की तारीख तक रजिस्ट्रेशन हुए बीस करोड़ लोगों में से साढ़े 17 करोड़ लोगों के वैक्सीनेशन
के दोनों डोज लगाने में 3-4 महीने का समय लग जाएगा। देश में कोरोना वैक्सीनेशन की अगर यहीं रफ्तार रही है तो 94 करोड़ से अधिक वयस्क लोगों को वैक्सीनेशन में तीन से चार साल का समय लग जाएगा।
राज्यों में वैक्सीन पर हाहाकार-वैक्सीन की कमी के चलते महाराष्ट्र सरकार ने 18 से 44 साल तक की उम्र के लोगों का टीकाकरण रोक दिया है तो मध्यप्रदेश में जहां 18 से अधिक आयु वालों का 5 मई से वैक्सीनेशन शुरु हुआ था वह वैक्सीन की उपलब्धता पर ही 15 मई के बाद वैक्सीनेशन पर फैसला लेगी। वहीं दिल्ली में वैक्सीन की कमी के चलते 100 से अधिक सेंटर बंद कर दिए गए है। डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया ने कहा कि की सप्लाई बंद हो गई है जिसके चलते 100 सेंटर्स को बंद करने की नौबत आ गई है। उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर वैक्सीन उपलब्ध नहीं कराई गई तो तीसरी लहर में भी लोग मरते रहेंगे।
वैक्सीन की कमी दूर करने का ‘फॉर्मूला’-देश में कोरोना वैक्सीन की कमी को दूर करने के दो रास्ते है पहला यह कि सरकार बड़े पैमाने पर वैक्सीन का आयात करें और दूसरा सबसे कारगर फॉर्मूला कि भारत बायोटेक की बनाई स्वदेश कोवैक्सीन का फॉर्मूला देश के बाकी मैन्युफेक्चरर्स का जल्द से जल्द दिया जाए। भारत दुनिया के सबसे बड़ा वैक्सीन प्रोडेक्शन करने वाले देश है और अभी 20 से अधिक कंपनियां वैक्सीन मैन्युफेक्चरर्स से जुड़ी है। ऐसे में फॉर्मूला शेयर करने से वैक्सीन उत्पादन बढ़ेगा और लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन मिल सकेगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वैक्सीन का फॉर्मूला साझा करने की मांग भी उठा दी है। वहीं मध्यप्रदेश जैसे राज्य वैक्सीन की कमी को पूरा करने के लिए स्पूतनिक वैक्सीन के आयात की संभावना पर काम करना शुरु कर दिया है। वहीं वैक्सीन की कमी को दूर करने के लिए दिल्ली,उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना ग्लोबल टेंडर जारी करने की तैयारी कर रहे है।

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