वर्ल्ड वॉटर डे
नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को विश्व जल दिवस पर जल शक्ति अभियान की शुरुआत की। इस अभियान को कैच द रेन कैम्पेन का नाम दिया गया है। PM मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसकी शुरुआत की। उन्होंने कहा कि मनरेगा का पैसा और कहीं नहीं जाना चाहिए। इसकी एक-एक पाई पानी बचाने के काम आनी चाहिए।
उन्होंने कहा मानसून आने में अभी कुछ हफ्ते का समय है, इसलिए हमें पानी बचाने की तैयारियां अभी से जोरों से करनी है। टैंकों, तालाब और कुओं की सफाई हो जाए। वर्षा जल के रास्ते में कोई रुकावट हो, तो उसे हटाना है। इसमें कोई बहुत बड़ी इंजीनियरिंग की जरूरत नहीं है। मनरेगा का पैसा और कहीं नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि जलशक्ति के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। प्रयास भी बढ़ रहे हैं। पूरी दुनिया आज जल के महत्व को उजागर करने के लिए इंटरनेशनल वॉटर डे मना रही है। हम दो महत्वपूर्ण उद्देश्य के लिए यहां जुटे हैं। दुनिया के सामने उदाहरण पेश हो और भारत में पानी की समस्या का समाधान हो, इसलिए केन-बेतवा लिंक के लिए बहुत बड़ा कदम उठाया गया है। अटलजी ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की पानी की समस्या दूर करने के लिए जो सपना देखा था, उसे पूरा किया जा रहा है। आज अगर कोरोना नहीं होता और हम अगर झांसी बुंदेलखंड में आकर यह उद्घाटन करते, तो इसमें लाखों लोग आते। यह इतना महत्वपूर्ण काम हो रहा है।
उन्होंने कहा हम अगर जन भागीदारी से पानी बचाने की पहल करेंगे, तो यह समस्या नहीं लगेगी, बल्कि पानी पैसे से भी ज्यादा मूल्यवान लगेगा। यह काम दशकों पहले होना था, लेकिन नहीं हुआ। भारत जैसे-जैसे विकास की तरफ बढ़ रहा है, जलसंकट भी वैसे-वैसे बढ़ता जा रहा है। इसलिए हमें इस बार पानी बचाने में कोई कसर नहीं छोड़नी है।
आने वाली पीढ़ी के लिए जिम्मेदारी निभानी होगी
PM कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि हमें आने वाली पीढ़ी को पानी देकर जाना है। पानी से पवित्रता रखेंगे। यह वर्तमान पीढ़ी का दायित्व है कि वे आने वाली पीढ़ी के लिए अभी से जिम्मेदारी निभाएं। हमें भविष्य के संकटों का अभी से समाधान तलाशना है। बीते छह साल से इस दिशा में अनेक कदम उठाए गए हैं। पर ड्रॉप, मोर क्रॉप, अटल जल योजना, नमामी गंगे जैसी परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है। भारत वर्षा जल का जितना अच्छा प्रबंधन करेगा, जमीनी जल पर निर्भरता उतनी ही कम होगी।
30 नवंबर तक चलेगा अभियान
इस अभियान को मानसून की शुरुआत से पहले और उसके खत्म होने के बीच 30 मार्च से 30 नवंबर के बीच चलाया जाएगा। जमीनी स्तर पर जल संरक्षण में जन भागीदारी के लिए इस अभियान को जन आंदोलन के रूप में शुरू किया जाएगा। इसका मकसद बारिश के पानी को बचाने और संरक्षित करने के लिए लोगों को आगे लाना है। हैं ह