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पेगासस मामला: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से केंद्र को याचिका की कॉपी देने को कहा, सुनवाई की बड़ी बातें

नई दिल्ली| इसराइल के पेगासस सॉफ्टवेयर से जासूसी के मामले में जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया है कि देश में पत्रकारों, राजनेताओं से लेकर जजों तक की जासूसी हुई है, ऐसे में इसमें एक स्वतंत्र जांच की जरूरत है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेगासस को लेकर जो रिपोर्ट मीडिया में आई है, जिनमें जासूसी के दावे किए गए हैं। अगर उसमें सच्चाई है तो ये निश्चित ही गंभीर मुद्दा है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं से केंद्र को याचिका की कॉपी देने को कहा है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।

पेगासस मामले पर जांच की मांग को लेकर वकील एमएल शर्मा, राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार एन राम और शशि कुमार, जगदीप चोककर, नरेंद्र मिश्रा, और पत्रकार रूपेश कुमार सिंह की ओर से याचिका दी गई है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ पेगासस इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट में एन राम की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने मामले को गंभीर बताते हुए कोर्ट से गुहार लगाई कि केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि हम सभी चाहते हैं कि आप केंद्र सरकार को नोटिस जारी करें। याचिकाकर्ता पत्रकारों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दत्तर ने कहा कि संपूर्ण और व्यक्तिगत गोपनीयता के रूप में नागरिकों की गोपनियाता पर विचार किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता शिक्षाविद जगदीप की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वर्तमान मामले की भयावहता बहुत बड़ी है और कृपया मामले की स्वतंत्र जांच पर विचार करें। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों को सुनने के बाद कहा कि अगर रिपोर्ट सही है तो इसमें कोई शक नहीं कि आरोप गंभीर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे अपनी याचिका की प्रति केंद्र को दें। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमन्ना ने कहा कि 2019 में पेगासस का मुद्दा सामने आया और किसी ने भी जासूसी के बारे में सत्यापन योग्य सामग्री एकत्र करने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। ज्यादातर जनहित याचिकाएं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के समाचार पत्रों की कटिंग पर आधारित हैं। हम ये नहीं कह सकते कि इस मामले में बिल्कुल कोई सामग्री नहीं है या दलीलों में कुछ नहीं है।

सीजेआई ने कहा कि जिन लोगों ने याचिका दायर की उनमें से कुछ ने दावा किया कि उनके फोन हैक हुए हैं। आप आईटी और टेलीग्राफिक अधिनियम के प्रावधानों को अच्छी तरह जानते हैं। ऐसा लगता है कि उन्होंने शिकायत दर्ज करने का कोई प्रयास नहीं किया।

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