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उद्योगों पर पड़ रही आक्सीजन की कमी की मार

मेरठ। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों तक आक्सीजन पहुंचाने के लिए उद्यमियों ने 700 सिलेंडर मुहैया कराए थे लेकिन उनको वापस करना प्रशासन भूल गया है। कोरोना संक्रमण दर के साथ मेडिकल आक्सीजन की मांग भी घट रही है। इस बीच उद्योगों को 30 फीसद ऑक्सीजन सप्लाई का आदेश आ चुका है, लेकिन सिलेंडर न होने के कारण उद्योगों में ऑक्सीजन सप्लाई ठप्प है। लॉकडाउन के कारण उद्योग पहले ही पटरी से उतरे हैं, अब ऑक्सीजन की कमी इंडस्ट्री संचालन में बांधा बन रही है।

लघु उद्येाग भारती के महानगर अध्यक्ष पंकज जैन कहते हैं कि, फरवरी, मार्च के दौरान कोरोना उफान पर था। आक्सीजन की मांग तेजी से बढ़ी तब जिला उद्योग केंद्र ने मेडिकल आक्सीजन की सप्लाई पूरी कराने के लिए उद्यमियों से सिलेडर मांगे थे।

उद्यमियों ने मुश्किल घड़ी में सहयोग के लिए अपने सिलेंडर निकालकर दे दिए। अब आक्सीजन की मांग घटी है, सिलेंडरों की खपत कम हो रही है तो उद्योंगों के सिलेडर लौटाए जाएं, जो नहीं हो रहा। उद्यमी फेक्ट्री कैसे चलाएं, सारे उद्योग ठप्प पड़े हैं। दिक्कत आ रही है।

लॉकडाउन से ज्यादा अब हो रहा नुकसान

खेल उद्यमी अश्विनी गेरा कहते हैं कोरोना के पीक टाइम में सिलेंडर की जरूरत थी, उद्यमियों को खुद संक्रमण का डर था, और कुछ समय बाद लॉकडाउन लग गया। जब फैक्ट्रियां बंद थीं। इसलिए उद्यमियों ने सिलेंडर दे दिए। अब माहौल सुधर रहा है। उद्योगों में फिर से काम शुरू होना है। लेकिन इंडस्ट्री के पास न आक्सीजन है न सिलेंडर काम कैसे शुरू करें। लॉकडाउन के कारण काफी घाटा उद्योगों को हो चुका है। अगर समय पर काम शुरू न हुआ तो और नुकसान होगा। तीसरी लहर आई और फिर काम बंद हो गया तो आर्थिक संकट और गहरा जाएगा।

आपातकाल के लिए रखे सिलेंडर

सहायक आयुक्त उद्योग शैलेंद्र सिंह ने कहा कि उद्योगों को गैस सप्लाई शुरू करा दी है, मगर सिलेंडर वापस करने के लिए अभी निर्देश नहीं मिला है, निर्देश शासन से मिले तो सिलेंडर लौटा दिए जाएं। अधिकांश सिलेंडर अस्पतालों में रिजर्व कर दिए हैं इसलिए उद्योगों को नहीं मिल पा रहे हैं।

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