कानपुर। कोरोना संक्रमण काल में 1 महीने में सबसे ज्यादा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाला कानपुर नगर निगम सवालों के घेरे में है। कई साल बीत जाने के बावजूद लोग मृत्यु प्रमाण पत्र पाने के लिए चक्कर काट रहे हैं। कोई बिधवा पेंशन नहीं ले पा रही है, जबकि कई परिजन आने पारिवारिक अधिकारों से वंचित हैं। ज़िम्मेदार हैं कि उनके कान में जूं तक नहीं रेंग रही। कानपुर नगर निगम सिस्टम की पोल खोल खोलते कई शहरवासी हर दिन नगर निगम दफ्तर के में देखे जा सकते हैं।
जानकारी के अनुसार, श्याम नगर बाईपास में रहने वाली उर्मिला गुप्ता बताती है कि उनके पति और पुत्र दोनों की मौत हो चुकी है। यह बेरोजगार हैं। साल 2017 में पति अनिल गुप्ता की मौत के बाद विधवा पेंशन के3 लिये नगर निगम में मृत्यु प्रमाण पत्र का आवेदन किया।
पति की मृत्यु प्रमाण पत्र को पाने के लिए चक्कर लगाने वाली उर्मिला गुप्ता अपनी कहानी और दर्द को बयां करते हुए रोने लगती हैं। इनकी नम आंखों से उस दर्द का एहसास किया जा सकता है,जो नगर निगम के नाकारा कर्मचारियों ने उर्मिला गुप्ता को दिए हैं। डीएम ऑफिस की बात कर उर्मिला गुप्ता को नगर निगम के चक्कर पर चक्कर कटवाए गए। लेकिन उनके पति का मृत्यु प्रमाण पत्र अभी तक नहीं मिल पाया।
पीड़ित उर्मिला ने रो रोकर सुनाई आप बीती
उर्मिला कहती है कि वह अब बिल्कुल अकेली हैं। उनके पति और लड़का दोनों खत्म हो चुके हैं। इस उम्र में जाये तो कहा जाए। कोई आय का जरिया भी नजी बचा है अब। वह कहती है कि गुजर-बसर करने के लिए कुछ भी नहीं है। इस डेथ सर्टिफिकेट के बनने के बाद हमको विधवा पेंशन मिलनी है। लेकिन चक्कर पर चक्कर काटने के बावजूद डेथ सर्टिफिकेट हासिल नहीं हो पा रहा है। नगर निगम के लोग लगातार दौड़ा रहे हैं। सर्टिफिकेट नहीं दे रहे।
केस 2 ; भाई के डेथ सर्टिफिकेट को लेकर कर रहे हैं संघर्ष
कानपुर के बर्रा निवासी अरुण गुप्ता अपने मृत भाई विनोद गुप्ता का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना चाहते हैं। साल 2018 में भाई की मौत हुई। कानपुर नगर निगम में इन्होंने आवेदन किया तो चक्कर पर चक्कर लगा रहे है। कई चक्कर काटने के बाद आज भी इनको दौड़ाया जा रहा है। लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र का दस्तावेज इनके हाथ अब तक नहीं लग सका है। पेशे से हलवाई अरुण गुप्ता बर्रा में रहते हैं।
भाई विनोद गुप्ता का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने अक्सर नगर निगम चक्कर लगाते रहते है। साल 2018 में उनकी मृत्यु हुई थी। अभी तक मृत्यु प्रमाण पत्र बन कर नहीं मिला है। इनको बताया जाता है कि डीएम ऑफिस से जब रिपोर्ट आ जायेगी तब आपको प्रमाण पत्र दिया जाएगा। वह बताते है कि अब वह भूल गये है कि कितनी बार यहां आ चुके है।
जिम्मेदार मानने को तैयार नहीे
नगर स्वास्थ्य अधिकारी अजय संखवार कहते हैं कि ऐसा हरगिज़ नहीं हो सकता। सभी को डेथ सर्टिफिकेट 45 दिन में दे दिए जाते हैं। कोरोना काल मे इस सर्टिफिकेट को मात्र 7 दिन में देने का कार्य किया जा रहा है। उनकी दलील है कि कागजो की अनिवार्यताएं पूरी नही होने पर सर्टिफिकेट नही बन पाते हैं।