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अब पानी में भी कोरोना वायरस 16 में से 5 सैंपल मिले पॉजिटिव

अहमदाबाद। अब तक देश के कई शहरों की सीवेज लाइनों में कोरोना वायरस मिलने की पुष्टि हो चुकी है। लेकिन अब इसके जरिए तालाब और नदियो के पानी में भी कोरोना वायरस पहुंचने की पुष्टि हो गई है। यह चौंकाने वाली जानकारी अहमदाबाद से ही सामने आई है, जहां के जलस्रोत साबरमती नदी, कांकरिया और चंदोला तालाब में कोरोना वायरस पाया गया है। पिछले चार महीनों में तीनों स्रोतों के 16 सैंपल लिए गए, जिनमें से 5 सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं।

देश के 8 संस्थानों ने किया रिसर्च

आईआईटी गांधीनगर समेत देश की 8 संस्थाओं ने मिलकर यह रिसर्च की है। इसमें दिल्ली के जेएनयू स्कूल ऑफ एन्वॉयरनमेंटल साइंसेज के रिसर्चर भी शामिल हैं। असम के गुवाहाटी क्षेत्र में भारू नदी से लिया गया एक सैंपल भी पॉजिटिव पाया गया है। सीवेज के सैंपल लेकर की गई जांच के दौरान नदी-तालाबों तक कोरोना वायरस पहुंचने की जानकारी मिली है।

इसलिए चुने गए गुवाहाटी और अहमदाबाद के जल स्रोत

दरअसल, कई सीवेज के सैंपल पॉजिटिव आने के बाद रिसर्चर ने साफ पानी के जलस्रोतों के रिसर्च की दिशा में काम शुरू किया था। अहमदाबाद में सबसे ज्यादा वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट हैं और गुवाहाटी में एक भी नहीं है। इसी के चलते रिसर्च के लिए इन दोनों शहरों को चुना गया था।

साबरमती नदी उद्योगों के कचरे और सीवेज से हुई प्रदूषित

अहमदाबाद में साबरमती नदी पर बना रिवरफ्रंट गुजरात की शान माना जाता है। रिवरफ्रंट को लेकर यह भी दावे किए जाते हैं कि इसकी वजह से नदी का पानी प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। जबकि, रिसर्च में पता चला कि नदी बहुत अधिक प्रदूषित है। वहीं, करीब 120 किमी के इलाके में तो यह मृत अवस्था में है।
इसके कई सैंपल की जांच में पता चला कि नदी का पानी पीने लायक ही नहीं है। इसमें नरोडा, ओढव, वटवा और नारोल इलाके के उद्योगों का प्रदूषित कचरा (एफ्ल्यूएंट) और शहर के सीवेज का पानी मिल जाता है। इसी के चलते शहर के बीच से बहने के बाद भी अहमदाबाद के लोगों को नर्मदा के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता है। यही हाल शहर के कांकरिया और चंडोला तालाब का भी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई का भी निर्देश दिया था

साबरमती नदी में प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 22 फरवरी 2017 में एक याचिका की सुनवाई के दौरान नदी को प्रदूषित करने वाली सभी औद्योगिक इकाइयों के साथ-साथ अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में नाकाम रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के निर्देश दिए थे। लेकिन, पर्यावरण संरक्षण समिति (ईपीसी) ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का आज तक पालन नहीं किया।

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