वाराणसी। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के शुभ अवसर पर गांधी पीस फाउंडेशन नेपाल द्वारा पर्यावरण योद्धा सम्मान से सम्मानित, काशी की सामाजिक संस्था सहयोगी के सचिव,पर्यावरण स्नेही एवम् श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज वाराणसी के मनोविज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा ओ पी चौधरी ने महाविद्यालय तथा परमानंदपुर गांव में वृक्षारोपण करते हुए पेड़ों की महत्ता एवं प्रकृति के संरक्षण के संबंध में बात करते हुए बताया कि प्रकृति संरक्षण जीवन का संरक्षण है,भावी पीढ़ी के सुनहरे भविष्य का संरक्षण है, जीवों का संरक्षण है,संस्कृति का संरक्षण है।प्रकृति के संरक्षण में ही जीवन है,जंगल हैं,जल है,जीव हैं,जमीन है,जलवायु है अर्थात सम्पूर्ण कायनात है।हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए,ताकि हमारी धरती हरी भरी रहे और प्रयाप्त मात्रा में हमें ऑक्सीजन मिलती रहे,जरूरत की चीजें फल,फूल,लकड़ी अन्य संपदा मिलती रहे और हमारा जीवन निर्बाध गति से आगे बढ़ता रहे।
प्रकृति के पास व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हवा,पानी,मिट्टी,खनिज,पेड़,जीव,औषधि, वनस्पतियां,जल सभी उपलब्ध है लेकिन औद्योगिक विकास की अंधी दौड़ में अपना विनाश खुद ही कर रहे हैं।हम विकास के क्रम में यह भूल बैठे कि हमारी गतिविधि से प्रकृति को कितना नुकसान होगा?प्राकृतिक स्रोतों का बुद्धिमत्तापूर्वक प्रबंध करना और संरक्षण करना ही प्रकृति संरक्षण है।प्राकृतिक आपदाओं का आना और कोविड -19 जैसी महामारी कहीं न कहीं से आना प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का नतीजा है।पर्यावरण के असंतुलन के कारण लोग अनेक बीमारियों के चंगुल में फंसते जा रहे हैं।कार्यक्षमता भी प्रभावित हो रही है।
डॉ चौधरी ने अपने उदबोधन में कहा कि प्रकृति जीवन दायिनी है,उसके पास अपरिमित खजाना है,अकूत भंडार है,जिसका उपयोग हम अपने जीवन यापन के साथ सभी प्राणियों के जीवन रक्षा के लिए कर रहे हैं।किंतु अपनी लालच व स्वार्थ के कारण प्रकृति का हम रक्षण n करके भक्षण कर रहे हैं, जो कि बहुत ही खतरनाक है।कार्बनडाईऑक्साइड,ग्रीन हाउस गैसेज की मात्रा खतरनाक स्थिति में पहुंच रही है। पेड़ पौधे कार्बनडाइऑक्साइड को अवशोषित कर पर्यावरण संतुलन बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। इसलिए हमें अपने अपने स्थान पर अपनी सुविधा के अनुसार पौधारोपण करना चाहिए व उनकी रक्षा करनी चाहिए।प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए जल,जंगल,जमीन,जलवायु,वनस्पतियों,जैव विविधता का संरक्षण जरूरी है। यह हम सभी का एक बहुत बड़ा सामाजिक दायित्व है।