उत्तर प्रदेश वाराणसी

कोरोना के कारण काशी में सर्राफा व्यवसाय से जुड़े हजारों लोगों की करोड़ों की क्षति

वाराणसी। अक्षय तृतीया एक महान पर्व है जो आदिकाल से चला आ रहा है। अक्षय का अर्थ ही है कि जिसका कभी क्षय न हो। अक्षय तृतीया के दिन की ऐसी धारणा है कि लोग स्वर्णाभूषण खरीदते है। जिसका कभी क्षय नही होता है तथा इस तिथि में शुभ व पुण्य कार्य का भी अक्षय फल प्राप्त होता है, उसको हम धार्मिक परंपरा के अनुसार अक्षय मानते हैं।

हमारे द्वारा किए गए शुभ कार्य, दान – पुण्य या स्वर्ण के रूप में जो संचय किया गया है उसका कभी क्षय नहीं होता है। यह परंपरा आम जनमानस में भी है। सर्वमान्य ऐसे में लोग सोने व चाँदी के व्यवसाय से संबंधित लोगों के यहां से अक्षय तृतीया के दिन सोने या सोने से बने हुए आभूषण को क्रय करते हैं ,जिसका क्षय कभी क्षय नहीं होता। इस समय पूरा भारत देश कोरोना वायरस नामक महामारी से भयग्रस्त हैं और उस महामारी से आम जन मानस की सुरक्षा के लिये सरकार द्वारा घोषित लाक डाउन की वजह से हम सभी का व्यवसाय भी बंद पड़ा हुआ है।

अत: इस स्वर्ण और रजत व्यवसाय से जुड़े लोग केवल अक्षय तृतीया जो दिनांक 13 मई गुरुवार को है उस दिन ही सिर्फ काशी में ही लगभग 300 करोड़ का अनुमानित व्यवसाय करते जो इस बार प्रभावित होगा। सोने व चाँदी का व्यवसाय वैवाहिक लग्न के समय भी होता है, जो प्रतिवर्ष अप्रैल, मई व जून माह में होता हैं। पर इस बार वह भी मुश्किल है ऐसे में सभी छोटे व मध्यम वर्गीय व्यवसायियों और कारीगरों के उपर रोजी रोटी का संकट गहरा गया है। वाराणसी जिले में ही लगभग 25 हजार से 30000 कारीगर इस व्यवसाय से जुड़े हैं जो अपने रोजगार व परिवार के भरण पोषण को लेकर भविष्य के लिए चिंतित है।

अधिकांश कारीगर स्थानीय सहित पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र और राजस्थान से आकर स्वर्णाभूषण तैयार करते हैं। इसी व्यवसाय में कुछ समाजसेवी हैं जो सहयोग के साथ ही सभी से धैर्य बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।

वर्तमान परिस्थिति मे हम बाबा काशी विश्वनाथ जी व माता अन्नपूर्णा जी से प्रार्थना करते है आप हमारे भारत देश के सभी लोगों के जीवन को सुखमय बनाते हुए इस कोरोना वायरस नामक महामारी से जल्द मुक्ति के साथ सभी के जीवन की रक्षा करें

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