वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दो हफ्ते पहले इलाज के अभाव में ई-रिक्शा पर मां के कदमों में बेटे की मौत को अभी लोग भूले नहीं थे कि रविवार को मानवता को तार-तार करने का एक और मामला सामने आ गया। यहां रामनगर क्षेत्र में एक मानसिक अस्वस्थ युवक की नेचुरल डेथ हो गई। लोग समझे कि उसकी जान कोरोना से गई है। नतीजा उसके शव को कंधा देने कोई नहीं आया। लाचार मां की पीड़ा जब नगर पालिका परिषद के सभासद और पूर्व सभासद ने सुनी तो वे सामने आए। लेकिन मुफ्त सेवा सेवा देने वाली एंबुलेंस और शववाहिनी का भी कहीं पता नहीं लग पा रहा था। आखिरकार शव अंत्येष्टि स्थल तक ठेलागाड़ी पर ले जाया गया।
कानपुर से आया बेटा तब शुरू हुआ अंतिम संस्कार
रामनगर किले के पास स्थित मोटरखाने में मधु सक्सेना मानसिक रूप से अस्वस्थ अपने पुत्र 44 साल के बेटे प्रशांत के साथ रहती थीं। उनका छोटा बेटा विशाल कानपुर में रहता है। रविवार की सुबह प्रशांत की अचानक मौत हो गई। इलाके में चर्चा है कि कोरोना से प्रशांत की मौत हुई, लेकिन इसकी पुष्टि कोई नहीं कर सका। कोरोना संक्रमित होने की अफवाह जैसे ही फैली किसी ने उसके पास जाने की हिम्मत नहीं जुटाई।
मां मधु भी शव से कुछ दूर बेसुध सी पड़ी रही और किसी रहनुमा के आने का इंतजार करने लगी। देर शाम कुछ लोगों ने हिम्मत जुटाई और परिवार के पास पहुंचे। वहीं, सोशल मीडिया पर यह घटना वायरल हो गई। इसके बाद भाजपा सभासद संतोष शर्मा, कांग्रेस के पूर्व सभासद राजेंद्र गुप्ता, पूर्व सभासद संजय यादव, विपिन सिंह, अशोक साहनी समेत कई लोग पहुंचे। देर शाम छोटा भाई भी कानपुर से घर पहुंच गया। इसके बाद कुछ दूर कंधा देकर और फिर ठेलागाड़ी के सहारे शव को श्मशान ले जाकर अंत्येष्टि कराई गई।
नगरपालिका प्रशासन पर लोगों ने जताई नाराजगी
प्रशांत के परिवार के असहाय स्थिति में होने की खबर सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद नगरपालिका प्रशासन की ओर से सफाई इंचार्ज संजय पाल मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के आदेश के बाद शवों के अंतिम सरकार के लिए नगरपालिका में 10 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। हालांकि नगरपालिका प्रशासन को लेकर लोगों में रोष दिखा। सबका कहना था कि रामनगर नगरपालिका का सालाना 35 करोड़ से ज्यादा का बजट है। ऐसी भी क्या मजबूरी है कि कोई हमारे परिवार या आसपास का मर जाए तो उसे ठेलागाड़ी से अंत्येष्टि के लिए भिजवाया जाए।