कानपुर। बार और लॉयर्स एसोसिएशन के दबाव में मंगलवार को सेशन कोर्ट से पूर्व भाजपा नेता नारायण सिंह भदौरिया और अधिवक्ता गोपाल शरण सिंह चौहान को जमानत मिल गई। दोनों पर पुलिस से मारपीट कर हिस्ट्रीशीटर को भगाने का आरोप था। निचली अदालत ने सोमवार को जमानत याचिका खरिज कर दी थी। सेशन कोर्ट ने सुनवाई के बाद सोमवार को जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अब इसी को आधार बनाकर अन्य आरोपितों को भी कोर्ट से जमानत लेने में आसानी होगी।
पुलिस की कमजोर लिखापढ़ी से अपराधियों को मिली राहत
नौबस्ता पुलिस की लचर लिखापढ़ी का आरोपियों को पूरा फायदा मिल गया। कोर्ट में नारायण भदौरिया के अधिवक्ता शिवाकांत ने तर्क दिया कि अगर आरोपियों ने पुलिस से मारपीट की तो मार्क ऑफ स्ट्रगल क्यों नहीं है? इतना ही नहीं अगर नारायण आरोपी थे तो उनका नाम एफआईआर में आठ घंटे बाद क्यों बढ़ाया गया? इसके साथ ही पुलिस की ओर से कोर्ट में हाजिर किए गए स्वतंत्र गवाहों ने घटना का समय अलग-अलग बताया है। सुनवाई के बाद जिला जज रामपाल सिंह ने भाजपा नेता नारायण सिंह भदौरिया और अधिवक्ता गोपाल शरण सिंह चौहान को 25-25 हजार के बॉन्ड पर जमानत स्वीकृत कर दी।
सुरक्षा में हुई पेशी, छावनी बना रहा कचहरी परिसर
लगातार तीसरे दिन कड़ी सुरक्षा में नारायण सिंह भदौरिया और गोपाल की पेशी हुई। कमिश्नर असीम अरुण के आदेश पर कचहरी परिसर में 15 थानों की फोर्स, तीन बटालियन पीएसी और क्यूआरटी फोर्स तैनात रही। जमानत के बाद पुलिस ने भी राहत की सांस ली और कचहरी परिसर से सुरक्षा हटा ली गई।
ये था पूरा मामला….
नारायण भदौरिया की 2 जून को नौबस्ता थानाक्षेत्र के एक गेस्टहाउस में जन्मदिन पार्टी में अपराधियों का जमावड़ा लगा हुआ था। नौबस्ता पुलिस ने छापेमारी करके हिस्ट्रीशीटर मनोज सिंह को दबोचा तो नारायण समेत अन्य ने पुलिस से धक्का-मुक्की करके हिस्ट्रीशीटर को फरार करवा दिया था। इसके बाद फरार नारायण भदौरिया और गोपाल शरण के साथ ही रॉकी यादव को पुलिस ने नोएडा से गिरफ्तार किया था। इसके बाद शनिवार को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया था।