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साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के जयंती पर कांग्रेसजनों ने किया माल्यापर्ण

वाराणसी। महानगर कांग्रेस के कमेटी के तत्वाधान में अपने विभिन्न रचनाओं से समाज की दशा व दिशा बदलने वाले प्रख्यात लेखक, महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के जयंती पर पाण्डेयपुर चौराहे स्तिथ उनके प्रतिमा पर दिप जलाकर मुंशी को याद किया गया। प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीपक जलाकर मुंशी जी को याद किया गया व उनके द्वारा किये गए कार्यों व उनके रचनाओ से सामाजिक बदलाव पर चर्चा हुआ। पाण्डेयपुर चौराहे पर कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पूर्व विधायक अजय राय लमही स्तिथी प्रेमचंद जी के जन्मस्थली पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किये।

इस मौके मुंशी को नमन करते हुए पूर्व विधायक श्री अजय राय ने कहा की मुंशी प्रेमचंद ने हिंदी सहात्य को अमूल्य गुण दिए हैं। उन्होंने जीवन और कलाखंड की सच्चाई को धरातल पर उतारा था व समाज मे एक आईना दिखाया व बदलाव की चिंगारी जलाई उन्होंने आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया था।उन्होंने हिंदी साहित्य को नई दिशा प्रदान की थी। वह एक महान लेखक थे और हिंदी साहित्य के युग प्रवर्तक भी थे।उनकी रचना गोदान, कर्मभूमि, कायाकल्प और रंगभूमि, ईदगाह, जैसी रचनाओं के उपन्यास सम्राट, प्रख्यात लेखक, साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ने अपने सादगीपूर्ण लेखन से भारतीय समाज में सदैव जागरुकता संचार के साथ दशा व दिशा बदलने का कार्य किया है।

मुंशी प्रेमचंद यानी हिन्दी साहित्य में जिन्हें कहानियों का सम्राट माना जाता है।किसी भी लेखक का लेखन जब समाज की गरीबी, शोषण, अन्याय और उत्पीड़न का लिखित दस्तावेज बन जाए तो वह लेखक अमर हो जाता है।और प्रेमचंद जी सदैव अमर है। प्रेमचंद जी ऐसे ही लेखक थे उन्होंने रहस्य, रोमांच और तिलिस्म को अपने साहित्य में जगह नहीं दी बल्कि धनिया, झुनिया, सूरदास और होरी जैसे पात्रों से साहित्य को एक नई पहचान दी जो यथार्थ पर आधारित था। प्रेमचंद जी जैसे लेखक सिर्फ उपन्यास या कहानी की रचना नहीं करते बल्कि वो गोदान में होरी की बेबसी दिखाते हैं तो वहीं, कफन में घीसू और माधव की गरीबी और उस गरीबी से जन्मी संवेदनहीनता जैसे विषय जब कागज पर उकेरते हैं तो पढ़कर पाठक का कलेजा बाहर आ जाता है। निश्चित रूप से समाज मे बदलाव व सच्चाई को उन्होंने अपने कलम में उतारा है। साथ ही मुंशी जी कहते थे की अन्याय होने पर चुप रहना, अन्याय करने के ही समान है।तो आज के परिवेश में सत्ता पक्ष द्वारा लगातार किसान, नौजवान, छात्र,लोकतंत्र,
संविधान पर इस सरकार द्वारा अन्याय हो रहा है। लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है ऐसे में समाज मे बदलाव के लिए अन्याय खत्म करने के लिए संविधान लोकतंत्र की रक्षा के लिए बोलना जरूरी है, लड़ना जरूरी है, लिखना जरूरी है।कालजयी उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते है।

महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने कहा की साल 1880, जब बनारस शहर से चार मील दूर लमही गांव में कहानियों के सम्राट प्रेमचंद जी पैदा हुए थे। उन्होंने बचपन में काफी गरीबी देखी, सँघर्ष किया। उनके पिता डाकखाने में मामूली नौकर के तौर पर काम करते थे।प्रेमचंद जी ने इस कदर बचपन से ही आर्थिक तंगी का सामना किया कि उनकी लेखनी में भागते पहिये की झूठी चमक कभी नहीं दिखी, बल्कि इसकी जगह प्रेमचंद ने लालटेन-ढ़िबरी की रौशनी में जीने को मजबूर ग़रीब-गुरबों को अपनी कहानी का पात्र बनाया।अपने उपन्यास और कहानियों में गांव के घुप्प अंधेरे का जिक्र किया।और सच कहें तो उन्होंने अपनी लेखनी से समाज के अंधकार को प्रकाश में परिवर्तित किया।प्रेमचंद जी की लेखनी सदैव समाज को जागरूक करने के लिए होती थी। ऐसे महापुरुष कलम के राजा प्रेमचंद जी के जयंती पर हम कांग्रेसजन नमन करते है।

इस मौके पर पूर्व विधायक अजय राय,इमरान खान,महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे, मनीष चौबे, शैलेन्द्र सिंह,ओमप्रकाश ओझा, मनीष मोरोलिया, पंकज सिंह डब्लू, चंचल शर्मा, मयंक चौबे, दयाराम पटेल, अशोक सिंह, विनोद सिंह कल्लू, हसन मेहंदी कब्बन, रोहित दुबे, मनीष शर्मा, अनुभव राय, परवेज खान, आशीष गुप्ता, किशन यादव, विकास कॉन्डिंया, विनय राय, विनीत चौबे, पीयूष उपाध्याय, मो.आदिल, आयुष सिंह आदि लोग उपस्थिति रहे।

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