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साथ जन्मे और कब्र भी बनी साथ

मेरठ – जोयफ्रेड और रोलफ्रेड महज 5 मिनट के अंतर से मेरठ में जुड़वां पैदा हुए और दोनों ने इंजीनियरिंग के बाद हैदराबाद की एक कंपनी में नौकरी जॉइन की। अपने जन्मदिन के एक दिन बाद इन जुड़वां भाइयों को कोरोना (Corona) हुआ और 19 दिन के संघर्ष के बाद दोनों की जान चली गई।

ये दोनों भले ही दो जिस्म थे मगर थे एक जान की तरह, क्योंकि एक की मौत की खबर की आहट से दूसरे की भी सांसें थम गईं। महज 22 घंटे की अंतराल से दो इंजीनियर बेटों को खोने के गम से परिवार टूट गया है। आसपास के घरों में मातम पसरा हुआ है। इन जुड़वां भाइयों के टीचर पिता ग्रेगरी रेमंड राफेल 23 अप्रैल 1997 का दिन याद करते हैं जब उनकी पत्नी सोजा अस्पताल में थीं। अस्पताल के लेबर रूम से बाहर आकर कोई उनको खुशखबरी सुनाए, उस क्षण का वह बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
डॉक्टर ने आकर उन्हें बधाई दी की उनके जुड़वां बेटे हुए हैं। दो बेटों को पाकर उनकर उनकी खुशी का ठिकाना न रहा और उन्होंने टीचर पत्नी और जुड़वां बच्चों को घर लाकर जश्न मनाया। इस टीचर दंपति के लिए 23 अप्रैल का दिन बेहद अहम था, 24 वर्ष तक जुड़वां बेटों के जन्म को वह यादगार दिन के रूप में सेलीब्रेट करते रहे। मगर 24 बरस बाद 24 अप्रैल के दिन उनके दोनों जुड़वां बेटे कोरोना पीड़ित हुए बीती 13 और 14 मई को मौत हो गई।

दोनों भाइयों का जन्म एक साथ हुआ और जिंदगी का साथ भी महज 22 घंटे के अंतर से खत्म हो गया। पिता रेमंड बताते हैं कि उनके दोनों बेटे जोफ्रेड वर्गीज ग्रेगरी और राल्फ्रेड जॉर्ज ग्रेगरी ने 24वां जन्मदिन 23 अप्रैल को मनाया था। जुड़वा भाई होने के नाते वह हर काम साथ करते थे। एक साथ खाते-पीते, खेलते और पढ़ाई करते। उनकी एकजुटता ने दोनों को एक साथ ही कंप्यूटर इंजिनियर बनाया और साथ ही दोनों ने हैदराबाद में नौकरी की। नियति की क्रूरता ही कहिए दोनों ही भाई इस दुनिया को सदा के लिए साथ-साथ ही अलविदा कह गए।

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