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दो माह के भीतर दोगुने बढ़े चिकेन दाम, दो सौ गाड़ी मुर्गे की डिमांड लखनऊ में प्रतिदिन

लखनऊ। महंगाई की मार अब चिकन इंडस्ट्री पर भी पड़ने लगी है। पिछले दो महीने में चिकन 160 रुपए प्रति किलो से 220 रुपए तक पहुंच गया है। लेकिन फिर भी कारोबार बहुत ज्यादा मुनाफा का नहीं रहा है। लखनऊ समेत आस-पास जिलों में चिकन का कारोबार 50 फीसदी से ज्यादा गिर गया है। कारोबारियों का कहना है कि लॉकडाउन खुलने के बाद स्थिति में थोड़ा सुधार आया है। स्थिति यह है कि कई बड़े कारोबारियों ने घाटे से बचने के लिए अपने यहां कर्मचारियों की संख्या कम करनी शुरू कर दी है। इससे कि नुकसान न हो।

मलिहाबाद के कारोबारी वसी बताते है कि डिमांड घटी है यह सच है लेकिन रेट लगातार महंगाई की वजह से बढ़ा है। दाना बहुत महंगा हो गया है। ऐसे में पहले होल सेल में जो मुर्गा 80 रुपए में तैयार हो जा रहा था। उसके लिए अब 100 रुपए से अधिक खर्च होते है। बताया कि इसके अलावा बाहर से दाना मंगाने पर माल भाड़ा भी बढ़ जा रहा है।

वसी लखनऊ के अलावा हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली, उन्नाव जैसे शहरों में चिकेन की सप्लाई करते हैं। लेकिन रेट बढ़ने की वजह से इन जगहों से डिमांड बहुत कम आ रहा है। इसके अलावा दवाओं के रेट पर भी असर पड़ा है। फरवरी और मार्च में दो दवाएं 280 रुपए तक मिल रही थी, बीच में उनकी कीमत 420 रुपए तक पहुंच गया था। हालांकि अब इसमें कमी आनी शुरू हुई है। ऐसे में थोड़ा रेट कम हो सकता है।

टेढ़ीपुलिया पर दुकान लगाने वाले फहिम बताते है कि लखनऊ में दो सौ गाड़ी मुर्गे की डिमांड प्रतिदिन रहती है। लॉक डाउन के बाद यह डिमांड जरूर कम हुई है। एक गाड़ी में करीब एक हजार मुर्गे आते हैं। लेकिन यह डिमांड मुश्किल से 80 गाड़ी से भी कम हो गई है। बताया कि वह पहले एक दिन में जहां 400 से 500 मुर्गे बेचते थे अब मुश्किल से 100 पीस भी नहीं बेच पा रहे है। ऐसे में बिक्री भी 75 फीसदी तक कम हुई है। लगातार महंगाई होने से लोगों ने खरीददारी कम कर दी है।

20 की जगह 28 हजार रुपए माल भाड़ा

बीकेटी इलाके में काम करने वाले आजाद बताते है कि सोया एमपी से आता है। इसमें पहले ट्रक वाले जहां 20 हजार रुपए माल भाड़ा लेते थे, अब वह 28 हजार रुपये चार्ज करते है। माल भाड़ा बढ़ने का असर सीधे प्रोडेक्ट पर पड़ता है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों से लगातार रेट बढ़ते जा रहे है। बताया कि इसकी वजह से सप्लाई भी कम हो गई है।

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