नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच जानलेवा ब्लैक फंगस का संकट गहरा रहा है। अब तक चंडीगढ़, असम, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा और पंजाब जैसे राज्यों ने इस बीमारी को महामारी घोषित किया है, वहीं ब्लैक के बाद अब व्हाइट फंगस के भी कुछ मामले सामने आए हैं। गुरुवार को तमिलनाडु सरकार राज्य में 9 लोगों के ब्लैक फंगस संक्रमण (म्यूकरमाइकोसिस) से संक्रमित पाए जाने के बाद गुरुवार को इसे एक अधिसूचित रोग घोषित किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से ब्लैक फंगस संक्रमण (म्यूकरमाइकोसिस) को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाकर सभी मामलों की सूचना देने आग्रह किया था। इसने यह भी कहा है कि इस संक्रमण से कोविड-19 रोगियों में दीर्घकालिक रुग्णता और मौतों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा कि वह उन कदमों की जानकारी दे, जो ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा के आयात के लिए उठाए जा रहे हैं। कोविड-19 के ठीक हो रहे कई मरीजों में ब्लैक फंगस का संक्रमण देखने को मिला है और इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा की देश में कमी है।
ब्लैक फंगस के कारणों में बिना धोए मास्क पहनने की धारणा पर विशेषज्ञों में मतभेदअदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि वह दवा की मौजूदा उत्पादन क्षमता, इसके उत्पादन के लिए लाइसेंस प्राप्त विनिर्माताओं की विस्तृत जानकारी, इस दवा के उत्पादन की क्षमता में वृद्धि और कब तक बढ़ा हुआ उत्पादन शुरू होगा, यह जानकारी मुहैया कराए। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि केंद्र को अब एम्फोटेरिसिन बी दवा को, दुनिया में जहां भी उपलब्ध है, वहां से लाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
5 कंपनियों को मंजूरी : केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को कहा कि म्यूकोरमाइकोसिस के इलाज में उपयोगी दवा एम्फोटेरिसीन-बी की कमी के मुद्दे का जल्द समाधान किया जाएगा। कई नई दवा कंपनियों को इस औषधि के विनिर्माण की मंजूरी दी गई है। ब्लैक फंगस के नाम से चर्चित म्यूकोरमाइकोसिस नाक, आंख और कभी-कभी दिमाग को नुकसान पहुंचाता है।