लखनऊ: साल 2022 में उत्तर प्रदेश के अंदर विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में चुनाव से पहले प्रदेश में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। 2022 के चुनावी रण में उतरने से पहले भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगी दलों को एकजुट करने के प्रयास में जुट गई है। अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के बाद बीजेपी ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के लिए गठबंधन में वापसी के दरवाजे खोल दिए गए हैं। हालांकि, ओम प्रकाश राजभर ने ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने शुक्रवार 11 जून को ट्वीट करते हुए लिखा, ‘भाजपा डूबती हुई नैया है, जिसको इनके रथ पर सवार होना है हो जाये..पर हम सवार नहीं होंगे। जब चुनाव नजदीक आता है तब इनको पिछड़ो की याद आती है जब मुख्यमंत्री बनाना होता है तो बाहर से लाकर बना देते है। हम जिन मुद्दों को लेकर समझौता किये थे साठे चार साल बीत गया एक भी काम पूरा नहीं हुआ।’
भाजपा को हराने वालों के साथ करेंगे गठबंधन ओपी राजभर यही नहीं रूके, उन्होंने कहा, ‘उप्र में शिक्षक भर्ती में पिछड़ो का हक लुटा, पिछड़ो को हिस्सेदारी न देने वाली भाजपा किस मुंह से पिछड़ो के बीच मे वोट मांगने आएंगी। इनको सिर्फ वोट के लिए पिछड़ा याद आते है। हमने भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया है जो भी उप्र में भाजपा को हराना चाहते है हम उनसे गठबंधन करने को तैयार है।’ ओपी राजभर ने भाजपा को कहा- भारतीय झूठ पार्टी भाजपा पिछड़ो का वोट कैसे मिले इसके लिए पिछड़ो के कुछ नेताओं को दिल्ली बुलाकर आश्वासन देना शुरू कर दी है। भाजपा (भारतीय झूठ पार्टी) पिछड़ों को हिस्सेदारी कब देगी, पिछड़ो का आरक्षण लूटने वाले बताए, सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट कब लागू होगी? अगर लागू नहीं हुआ तो 2022 में विदाई तय है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ओम प्रकाश राजभर को साधने में जुटी थी, इसके लिए पूर्वांचल के एक बड़े बीजेपी नेता को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिस नेता को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी, वो दिल्ली दरबार से बेहद करीब बताए जाते हैं। इतना ही नहीं ओम प्रकाश राजभर के साथ भी उनके अच्छे रिश्ते हैं।