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काशी के डीआरडीओ अस्पताल में भी बुरे हाल

वाराणसी।  वाराणसी के BHU परिसर में DRDO द्वारा बनाए गए पंडित राजन मिश्र अस्थायी कोविड अस्पताल में भी हालात ठीक नहीं हैं। पांच दिन में 79 मरीजों की मौत के बाद शुक्रवार को वाराणसी जिले में तैनात लेखपाल को उनके बेटे ने अस्थायी कोविड अस्पताल में भर्ती कराया। चंद घंटों बाद लेखपाल की मौत हो गई तो अस्पताल प्रशासन ने उन्हें लावारिस घोषित कर दिया। इधर लेखपाल का बेटा पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित था और उसे यह पता ही नहीं लग पा रहा था कि उसके पिता किस हाल में हैं? अंततः लंका थाने की पुलिस की मदद से पता लगा कि उसके पिता की मौत हो गई है और जब उसने प्रार्थना पत्र दिया तो उसके पिता का शव उसे नसीब हुआ। जिलाधिकारी कौशल राज वर्मा का कहना है विजय नारायण सिंह को मृत अवस्था में ही अस्पताल लाया गया था। वह जिस एंबुलेंस से लाए गए थे, उसका चालक उन्हें छोड़कर चला गया। डॉक्टरों के सामने कोई मौजूद नहीं था, इसीलिए पुलिस को सूचना दी गई।

अंदर जाने ही नहीं दिए, पापा न जाने कैसे हम सबको छोड़ गए

बलिया जिले के बैरिया थाना के इब्राहिमाबाद निवासी विजय नारायण सिंह वाराणसी की राजतालाब तहसील के लेखपाल थे। विजय नारायण सिंह मढ़वा लालपुर में मकान बनवा कर रहते थे। सत्यानंद सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने पिता को शुक्रवार की दोपहर पंडित राजन मिश्र अस्थायी कोविड हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। उस दौरान उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। उनके पिता की लगभग चार बजे मौत हो गई तो उनका शव लावारिस घोषित कर दिया गया। हॉस्पिटल से लंका थाने की भागदौड़ और लिखा पढ़ी के बाद बड़ी मुश्किल से उन्हें अपने पिता का शव नसीब हुआ।

लंका थाने की पुलिस बोली – अब हम भला अस्पताल के मसले में क्या करें

सत्यानंद सिंह से लंका थाने की पुलिस ने कहा कि वह अस्पताल के मसले में भला क्या कर सकते हैं। सत्यानंद से पुलिस ने भी यह कहा कि आखिरकार ऐसे कैसे हो सकता है कि जिस व्यक्ति को उसके परिजन अस्पताल में एडमिट कराएं उनकी मौत के बाद उन्हें लावारिस घोषित कर दिया जाए। यह तो एक बड़ी ही अजब किस्म की अराजकता और गड़बड़ी है लेकिन पुलिस ने इसे अस्पताल का मामला बताकर कार्रवाई करने से इंकार कर दिया।

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