प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लव जिहाद के एक मामले में शनिवार को आरोपी को जमानत दे दी। यही नहीं हाईकोर्ट ने शिकायत दर्ज कराने वाली पीड़िता को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। युवती ने एक शख्स पर चार साल तक दुष्कर्म करने और जबरन धर्म बदलने का दबाव डालने का आरोप लगाया था।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि अपनी मर्जी से चार साल तक आरोपी के साथ रहने वाली पीड़िता को प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश लागू होते ही अचानक अपने अधिकारों की जानकारी कैसे हो गई? इस मामले ने उसकी मानसिकता उजागर कर दी है। हाईकोर्ट ने महोबा के रहने वाले आरोपी मुन्ना खान की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह बात कही और उसे जमानत दे दी। यूपी में धर्मांतरण अध्यादेश नवंबर 2020 में लाया गया मगर सरकार ने इसे मार्च 21 में गजट किया। चार मार्च 21 को यह प्रदेश में लागू हुआ था। इसी के तहत मुन्ना पर FIR दर्ज हुई।
कोर्ट ने क्या कहा?
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने कहा कि पीड़िता याची के सभी कामों में अपनी मर्जी से सक्रिय सहभागी रही है। इससे जाहिर है कि आरोपी के साथ वह अपनी इच्छा से रह रही थी और यहां तक की दूसरे व्यक्ति के साथ शादी हो जाने के बाद भी उसने आरोपी से रिश्ते बनाए रखे। शादी के बाद भी वह आरोपी के घर रही। इससे उसका आचरण संदेह के घेरे में है। याची मुन्ना खान के खिलाफ पीड़िता ने 4 मार्च 2021 को महोबा कोतवाली में IPC की धाराओं के अलावा धर्मांतरण विरोधी अधिनियम के तहत FIR दर्ज कराई थी।
अश्लील वीडियो बनाने और ब्लैकमेल करने का था आरोप
पीड़िता ने कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया कि दोनों महोबा के एक ही मोहल्ले बजरिया में पिछले चार सालों से साथ रह रहे थे। उनके बीच अंतरंग संबंध भी थे। आरोप है कि मुन्ना खान ने पीड़िता की अश्नील तस्वीरें और वीडियो बना लिए थे। इसके बाद उसे ब्लैकमेल करने लगा। पीड़िता ने इसका न कभी विरोध किया और न ही किसी से शिकायत की। इसी तरह यह संबंध चार सालों तक चलता रहा।
दिसंबर 2020 में दूसरे व्यक्ति से कर ली थी शादी
पीड़िता ने पुलिस और मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान में कहा है कि आठ दिसंबर 2020 को उसने दीपक कुशवाहा नाम के व्यक्ति से शादी की और दिल्ली चली गई। 18 फरवरी 2020 को वह महोबा वापस आई और फिर अपनी बहन के साथ मुन्ना खान के यहां उरई में दो मार्च तक रही। आरोप है कि मुन्ना खान ने उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव डाला।
कोर्ट का ऑब्जर्वेशन
कोर्ट ने कहा कि मेडिकल जांच से स्पष्ट है कि पीड़िता की आयु 19 वर्ष है। वह बालिग है।
वह उसी इलाके में रहती है जहां आरोपी भी रहता है। ऐसे में महोबा जैसे छोटे शहर में यह संभव नहीं है कि पीड़िता आरोपी की पृष्ठ भूमि और धर्म से परिचित न रही हो। वह भी चार साल तक उसके साथ रहने के बाद।
आरोपी के पास से पुलिस को जांच में कोई फोटोग्राफ या वीडियो भी नहीं मिला है।
अपने बयान में खुद पीड़िता ने कहा है कि वह पिछले चार वर्षों से आरोपी के साथ फिजिकल रिलेशन में थी।
पीड़िता की हकीकत उसके बयानों से ही जाहिर होती है। आज की तारीख तक उसका धर्म परिवर्तन नहीं हुआ है, जिससे अध्यादेश की धारा 12 इस मामले में लागू नहीं होती है।