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मां की लाश के पास दो दिन तक भूख से बिलखती रही 1 साल की बच्ची

पुणे। महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ से एक झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक महिला की मौत हो गई और दो दिनों तक उसका शव घर में पड़ा रहा। महिला के शव के बगल में उसकी एक साल की बच्ची भी दो दिन भूख-प्यास से बिलखती रही, लेकिन कोई भी उसकी उसकी मदद के लिए नहीं आया। आखिर में शुक्रवार को दो महिला कांस्टेबल बच्ची को अपने साथ थाने लेकर आईं।

घटना पिंपरी चिंचवाड़ के दिघी इलाके की है। उत्तर प्रदेश की रहने वाली एक महिला अपने पति और बेटी के साथ किराए पर एक फ्लैट में रहती थी। कुछ दिन पहले उसका पति किसी काम से यूपी गया और बीमार हो गया। इसके बाद महिला यहां अपनी बेटी के साथ अकेले रह रही थी। माना जा रहा है कि मंगलवार या बुधवार को उसका निधन हो गया। इसके बाद दो दिन तक किसी को इसकी भनक नहीं लगी। दो दिन बाद गुरुवार को पड़ोसियों को दुर्गन्ध आने लगी, लेकिन कोरोना के डर की वजह कोई भी फ्लैट के अंदर घुसने को तैयार नहीं था।

शुक्रवार को किसी ने पुलिस स्टेशन फोन कर इसकी जानकारी दी। इसके बाद कांस्टेबल सुशीला गाभले और रेखा वाजे मौके पर पहुंची और दरवाजा तोड़कर अंदर घुसीं तो उनकी आंखें फटी रह गईं। एक साल की एक बच्ची शव के बगल में लेटी थी और भूख से तड़प रही थी। इसके बाद दोनों कांस्टेबल बच्ची को लेकर पुलिस स्टेशन आ गईं और महिला के शव को हॉस्पिटल भिजवाया।

कुछ और देर होती, तो बच्ची की  जा सकती थी जान

कांस्टेबल सुशीला गाभले ने बताया कि बच्ची की हालत लगातार गंभीर हो रही थी और अगर कुछ घंटे और हो जाते तो शायद कोई अनहोनी घट सकती थी। हमने बच्ची को सबसे पहले दूध और बिस्किट खिलाया और फिर डॉक्टर की सलाह पर कुछ सिरप दिए। फिलहाल उसके पिता को इसकी सूचना दे दी गई है। वह शनिवार शाम तक पुणे पहुंच जाएंगे और बच्ची को उन्हें सौंप दिया जाएगा।

दिघी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक मोहन शिंदे ने कहा कि बाल कल्याण समिति के निर्देशों के मुताबिक बच्ची को सरकारी चाइल्ड केयर होम में भेज दिया है। बच्ची की मां का नाम सरस्वती राजेश कुमार (29) था। उसकी मौत की वजह की जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम से पता चला की महिला की मौत उसका शव मिलने से करीब दो दिन पहले हो चुकी थी।

पड़ोसियों ने बच्ची को हाथ तक नहीं लगाया

मोहन शिंदे ने बताया कि हमने मृत महिला के पड़ोसियों से मदद मांगी, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। कोरोना के डर से किसी ने बच्ची को हाथ तक नहीं लगाया। तब दो महिला कॉन्स्टेबलों ने बच्ची को संभाला और उसे खाना खिलाया।

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