लखनऊ। अफगानिस्तान के काबुल में बमबारी और फायरिंग की दहशत के बीच यूपी के 5 लोग फंसे हुए हैं। देवरिया के नीतीश ने तो वीडियो कॉल पर बमबारी के दृश्य भी अपने परिवार वालों को दिखाए। इससे उनके माता-पिता की आंखों में आंसू आ गए। बुलंदशहर, गाजीपुर और जौनपुर के युवकों की हालत भी बेहद खराब है। बस ये लोग अपनी कंपनी के अंदर से घरवालों को वीडियो कॉल कर अपनी स्थिति बता पा रहे हैं। उधर, काबुल में तो इधर देश में इनके घरों में चिंता का माहौल है कि कहीं तालिबानी इनके पास तक न पहुंच जाएं। परिजनों ने सरकार से गुहार लगाई है कि जल्द सुरक्षित वापस बुलाया जाए।
खतरे के बीच देवरिया के नीतीश
देवरिया के नीतीश गोलियों और बमबारी की आवाजें सुनते रहते हैं। वीडियो कॉल कर उन्होंने अपने माता-पिता को बताया कि यहां के हालात ठीक नहीं हैं। नीतीश का कहना है कि वह जिस कंपनी में काम कर रहे हैं, वहां सुरक्षित तो हैं, लेकिन दहशत में हैं। कब क्या हो जाए कुछ पता नहीं।
ऐसे पहुंचे थे काबुल
- 13 जुलाई 2021 को दूसरी बार नीतीश ‘खान स्टील कंपनी’ में काम करने गए थे।
- घर में 5 भाई बहनों में नीतीश दूसरे नंबर के हैं।
- पिता आटा चक्की चलाते थे, मगर बीमारी के चलते उनका काम बंद हो गया।
- एक भाई इलेक्ट्रिशयन है। दूसरा मुंबई में मजदूरी करता है। सबसे छोटा भाई पढ़ाई कर रहा। बहन की शादी हो गई है।
- नीतीश ने कई मुल्कों के लिए वीजा अप्लाई किया था, लेकिन संयोगवश अफगानिस्तान जाना पड़ा।
पिछले साल से काबुल में हैं जौनपुर के मयंक
जौनपुर के मयंक कुमार (42) भी काबुल में फंसे हैं। वह काबुल एयरपोर्ट के निकट खान स्टील्स लिमिटेड में बतौर जनरल मैनेजर काम करते हैं। उनके पिता सत्यप्रकाश सिंह उम्मीद भरी निगाह से बेटे की वतन वापसी की राह देख रहे हैं। पिछले 3 साल से वे काबुल में काम कर रहे हैं। पिछली बार वह नवंबर 2019 में घर आए थे। मयंक कुमार का बेटा आदित्य (17) है।
पूरा परिवार इंतजार कर रहा है कि मयंक सकुशल भारत वापस आ जाएं। वीडियो कॉल पर उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी ने उन्हें भारत वापसी के टिकट का आश्वासन दिया है। वे कहते हैं कि उनके बेटे ने बताया है कि 3-4 दिन में वापस आने का आश्वासन मिला है। मयंक के पिता ने गुहार लगाई है कि भारत सरकार किसी तरह उनके बेटे को वापस लाए।
बुलंदशहर के दो युवक फंसे
काबुल के हालात देखकर परिजन चिंतित हैं। बुलंदशहर के दोनों युवकों के परिजनों ने प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है। जल्द से जल्द सुरक्षित भारत लाने की कवायद शुरू की जाए। परिजनों से बात करते समय वे बाहर के हालातों का जिक्र करते हैं। हरदम यह लगता रहता है कि कहीं तालिबानी न आ जाएं। इसलिए उनके साथ के भी सभी लोग डरे हुए हैं।
बुलंदशहर के थाना पहासू के गांव गंगागढ़ निवासी मुकेश बघेल का परिवार इस समय काफी चिंता में है। अफगानिस्तान के बिगड़ते हालातों को देखकर हर दिन वो और चिंतित हो जाते हैं। काबुल में फंसे मुकेश ने वीडियो संदेश भेजकर प्रधानमंत्री मोदी से सुरक्षित भारत वापस लाने की गुहार लगाई है।
अच्छी कमाई की उम्मीद से गए थे काबुल
गंगागढ़ निवासी मुकेश 6 महीने पहले अच्छी कमाई की उम्मीद लेकर अफगानिस्तान गए थे, लेकिन तख्ता पलट के कारण वहां के हालात बद से बदतर हो गए हैं। पत्नी शीला और चार मासूम बच्चे मुकेश की सलामती की दुआ कर रहे हैं। पत्नी का कहना है किसी भी तरह से पति सही सलामत वापस आ जाएं। मुकेश की 3 बेटियां भावना (13), हिना (12) और डॉली (7) व एक बेटा कृष्णा (10) हैं।
वहीं, डीएम रविंद्र कुमार का कहना है कि जनपद स्तर से जो भी मदद हो सकेगी वह की जाएगी।
गांव किर्रा के सतपाल भी फंसे
खुर्जा के गांव किर्रा निवासी सतपाल सिंह भी स्टील कंपनी में फंसे हुए हैं। उनके पास तक भी मदद नहीं पहुंच पा रही है। घर से बात भी कम हो पा रही है। वीडियो कॉल पर बात कर रहे हैं। उन्हीं के साथ मुकेश भी फंसे हुए हैं। दोनों को उम्मीद है कि भारत सरकार उन्हें वापस बुला लेगी।
गाजीपुर के कन्हैया भी काबुल में
उधर, गाज़ीपुर जनपद के कासिमाबाद तहसील अंतर्गत जयरामपुर (भगवल) गांव निवासी कन्हैया पुत्र अच्छे शर्मा भी काबुल में फंसे हुए हैं। गाजीपुर के युवक के काबुल में फंसे होने की जानकारी मिलते ही एसडीएम कासिमाबाद भरत भार्गव ने परिजनों से मुलाकात कर उन्हें भरोसा दिलाया कि कन्हैया ठीक-ठाक हैं। एसडीएम ने वॉट्सऐप कॉलिंग कर कन्हैया से बात की।
एसडीएम ने बताया कि काबुल शहर से पांच किमी दूरी पर महफूज जगह पर सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि अप्रवासी लोगों के लिए वहां रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया चल रही है, जिसमें कन्हैया का रजिस्ट्रेशन हो गया है। उम्मीद है कि आने वाली 25 तारीख तक वह भारत आ जाएंगे। कन्हैया की पत्नी रीना शर्मा ने भारत सरकार से अपने पति को स्वदेश लाने की मांग की। कन्हैया के तीन बच्चे हैं।